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Rajasthan: कक्षा 5 और 8 के छात्रों को लेकर बड़ा फैसला, मदन दिलावर ने कहा- ऐतिहासिक निर्णय; जानें

No-detention Policy: सरकार ने ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। केंद्र ने बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार नियम, 2010 में संशोधन के तहत किया गया।

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madan dilawar

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No-detention Policy: मोदी सरकार ने कक्षा 5 और 8 के विद्यार्थियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। केंद्र ने बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार नियम, 2010 में संशोधन के तहत किया गया। जिसका मकसद बच्चों में सीखने के नतीजों को बढ़ाना है। शिक्षामंत्री मदन दिलावर ने केंद्र सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है।

मदन दिलावर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर लिखा कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्र सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक एवं अभिनंदनीय निर्णय लिया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय के अंतर्गत 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को समाप्त कर दिया गया है। जिसके परिणामस्वरूप अब कक्षा पांच एवं आठवीं में अनुत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों का अगली कक्षा में स्वतः प्रोन्नति नहीं होगी'।

दूरदर्शी निर्णय से शिक्षा में आएगा सुधार- शिक्षामंत्री

उन्होंने कहा कि 'इस दूरदर्शी निर्णय से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार आएगा, बल्कि विद्यार्थियों में अध्ययन के प्रति गंभीरता एवं जिम्मेदारी की भावना का भी विकास होगा। इससे भारतीय शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा प्राप्त होगी तथा छात्रों के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा'।

2 महीने बाद फिर होगी परीक्षा

केंद्र सरकार के इस निर्णय के अनुसार, अब विद्यार्थी साल के अंत की परीक्षा में पास नहीं होंगे, उन्हें फेल माना जाएगा। उन्हें दो महीने में दोबारा परीक्षा देनी होगी। अगर फिर फेल होते हैं तो उसी कक्षा में साल दोहराना होगा। शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस बदलाव के बावजूद किसी विद्यार्थी को प्राथमिक शिक्षा पूरी करने से पहले स्कूल से नहीं निकाला जाएगा।

28 में से 23 राज्य थे पॉलिसी के खिलाफ

केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की 2015 में हुई बैठक में 28 में से 23 राज्यों ने 'नो-डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म करने का आह्वान किया था। राज्यों का तर्क था कि इस पॉलिसी से विद्यार्थी बोर्ड परीक्षाओं के लिए तैयार नहीं होते और कक्षा 10 में फेल होने वालों की संख्या बढ़ जाती है। मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्य पहले ही 5वीं या 8वीं में फेल होने वाले विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं करने का फैसला कर चुके हैं।

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