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सरसों के दामों में अचानक आया उछाल, 600 से 700 रुपए प्रति क्विंटल तक आई तेजी

सरसों की मांग बढ़ने से सरसों के दामों में अचानक उछाल आया है। मण्डी में सरसों के दाम 600 से 700 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5800 रुपए प्रति क्विंटल हो गए।

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सांकेतिक फोटो

कोटपूतली। सरसों की मांग बढ़ने से सरसों के दामों में अचानक उछाल आया है। मण्डी में सरसों के दाम 600 से 700 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5800 रुपए प्रति क्विंटल हो गए। कुछ दिन पहले तक मण्डी में सरसों 5100 रुपए प्रति क्विंटल विक्रय हो रही थी। भाव बढ़ने के बाद भी मण्डी में सरसों की आवक घटकर 400 से 500 कट्टे रह गई है। सरसों के दाम बढ़ने से फसलों का स्टॉक करने वाले लोग खुश है। किसान फसल कटाई के समय ही फसल विक्रय कर चुका है। इसके अलावा कई किसानों ने समर्थन मूल्य पर सरसों की फसल बेची थी। इस बार सरसों का समर्थन मूल्य 5650 प्रति क्विंटल है।

कृषि उपज मंडी में करीब एक सप्ताह पूर्व तक 42 प्रतिशत तेल कंडीशन वाली सरसों के दाम 5100 से 5200 रुपए प्रति क्विंटल थे। शनिवार को सरसों के दाम समर्थन मूल्य खरीद के भाव 5650 रुपए को भी पार करते हुए 5800 रुपए क्विंटल हो गए। ऐसे में उन्हें मंडी में एमएसपी से अधिक दाम मिल सकते हैं। मंडी में सरसों के दामों में उछाल से मण्डी व्यापारी खुश हैं।

आढ़तियों का मानना है कि मंडी में 5800 रुपए के दाम मिलने के चलते किसान समर्थन मूल्य के बजाए सीधे मंडी में आढ़तियों को फसल बिक्री कर रहा है। उसके नकद भुगतान भी मिल रहा है।

खरीद केन्द्र पर आवक घटी

कृषि मण्डी में क्रय विक्रय सरकारी समिति की ओर से समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद की जा रही है। एक सप्ताह से खरीद केन्द्र पर आवक में भारी कमी आई है। पिछले तीन दिनों से खरीद केन्द्र पर सरसों की कोई तुलवाई नहीं हुई। मंडी में एमएसपी से अधिक दाम मिलने से किसान क्रय-विक्रय के सरकारी खरीद केन्द्र पर नहीं पहुंच रहे है। केन्द्र प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि तीन दिन पहले सरसों के 92 कट्टों की तुलाई हुई थी। उसके बाद किसानों ने खरीद केन्द्र पर आना बंद कर दिया है।

डिमांड पूरी नहीं होने से आई तेजी

अनाज व्यापारियों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में सरसों के दाम 10 प्रतिशत बढ़े हैं। इसके पीछे बड़ा कारण सोयाबीन के उत्पादक देश ब्राजील में बाढ़ आना है। जिससे विदेशों में भी भाव बढ़े हैं। वहां से भारत में भी तेल का आयात होता है। आयात प्रभावित होने से तेल की भी डिमांड बढ़ी है। सरसों की पैदावार अनुमान से 20 प्रतिशत कम हुई है। आढ़तियों के अनुसार यह तेजी आगे भी जारी रहने का अनुमान है।