नरेश ने बताया कि शुरुआत में स्कूलिंग गांव मालवाड़ा से ही हुई। स्कूलिंग के बाद फिर कॉलेज किया और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए जयपुर का रूख कर लिया। जयपुर में कोचिंग ली और कई सरकारी परीक्षाएं दी। उनमें संस्कृत स्कूल में कनिष्ठ सहायक के पद पर जवाइनिंग की। काम के साथ ही एसआई भर्ती की भी तैयारी जारी रही। आखिर एसआई भर्ती परीक्षाएं आई। इस साल जनवरी में परीक्षाएं हुई। अब परिणाम में मेहनत का फल मिला है। नरेश ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि अच्छे नंबर आएंगे, लेकिन सबसे अच्छे नंबर आएंगे इसकी उम्मीद कम थी।
नरेश के परिवार में पहले भी कई सरकारी कर्मचारी हैं। उनके पिता भेराराम विश्नोई किसान हैं। मां गृहणी है। छोटी बहन लाइब्रेरियन के पद पर काम कर रही है। बड़ा भाई व्याख्याता है। बहन और भाई दोनो सरकारी कार्मिक हैं। परिवार में खुशियों का माहौल है।