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तरक्की की नई राह…एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ बनेगा औद्योगिक कॉरिडोर

Delhi-Mumbai Expressway : दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।

जयपुरMay 30, 2024 / 02:16 pm

Supriya Rani

जयपुर . दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। एक्सप्रेस-वे का 380 किलोमीटर हिस्सा राजस्थान से गुजर रहा है और राज्य सरकार इसके दोनों ओर औद्योगिक कॉरिडोर विकसित करने की योजना बना रही है। शुरुआती दौर में दौसा जिले में इससे सटे हिस्सों में 8 औद्योगिक क्षेत्र प्रस्तावित किए हैं, जिसके लिए 341 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है। हालांकि, मौके पर सरकारी जमीन इससे काफी कम है, इसलिए निजी भूमि अवाप्त करनी होगी। इसके लिए रीको प्रक्रिया शुरू कर रहा है। इसके अलावा अलवर, सवाईमाधोपुर, कोटा, झालावाड़ जिलों में भी औद्योगिक क्षेत्र प्रस्तावित किए जा रहे हैं। खासकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की उपलब्धता है। देश में जिस जगह सड़क-पानी की बेहतर उपलब्धता है, वहां औद्योगिक डवलपमेंट तेजी से हुआ है। निवेश करने वाली कंपनियां भी आसानी से वहां पहुंचती है। इस एक्सप्रेस-वे रूट में कोटा सबसे मुफीद एरिया है और इसके बाद सवाईमाधोपुर। यही कारण है कि सरकार का ज्यादा फोकस इन दोनों क्षेत्रों में है।

अर्थव्यवस्था में उद्योगों का योगदान

राजस्थान की अर्थव्यवस्था में उद्योगों का बड़ा योगदान है। वर्ष 2018-19 में यह 2.25 लाख करोड़ था, जो 2022-23 में 3.58 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।

कनेक्टिविटी बेहतर होेने से व्यापार के मिलेंगे कई विकल्प

एक्सप्रेस-वे हरियाणा, राजस्थान, एमपी, गुजरात और महाराष्ट्र राज्य से होकर गुजर रहा है। बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र, उसके बाद राजस्थान में है। एक्सप्रेस-वे से दिल्ली, अलवर, जयपुर, कोटा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ की भोपाल, उज्जैन, अहमदाबाद, इंदौर, सूरत और वडोदरा के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इससे व्यापार के कई विकल्प मिलने से स्थानीय व्यापार को पंख लगेंगे।

ये भी है जरूरी

सस्ती और नियमित बिजली।

औद्योगिक क्षेत्रों में सस्ती जमीन।

कनेक्टिविटी और ट्रांसपोर्ट सिस्टम मजबूत हो।

कानून व्यवस्था बेहतर हो।

सिंगल विंडो की सुविधा।

ये बाधाएं, जिन्हें करना होगा दूर

2उद्योगों के लिए पानी आवंटन: उद्योगों के लिए पानी आवंटन का कोई स्थाई प्लान नहीं और न ही कोई नीति। इसी कारण एनसीआर से जुड़े प्रदेश की औद्योगिक क्षेत्र में कई बड़े निवेशकों के कदम ठिठक रहे हैं। रीको ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार से जल्द से जल्द समाधान की जरूरत जताई थी, ताकि दूसरे निवेशक भी आ सकें।

महंगी बिजली…अभी हर यूनिट 2.50 रुपए महंगी: औद्योगिक श्रेणी की बिजली दर के मामले में राजस्थान देश में पांचवें नम्बर पर है। पड़ोसी राज्यों की तुलना में यहां औद्योगिक इकाइयों को ढाई रुपए यूनिट तक महंगी बिजली मिल रही है। निवेशकों को आकर्षित करने में यह एक सबसे बड़ी बाधा है।

मुख्यमंत्री की मंशा है कि प्रदेश में औद्योगिक कॉरिडोर डवलप हो। इसी आधार पर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के नजदीक भी औद्योगिक क्षेत्र के लिए जमीन तलाशी गई है। आचार संहिता के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। -हिमांशु गुप्ता, कार्यवाहक प्रबंध निदेशक, रीको

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