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जीवन बचाने के लिए पिछले 30 सालों से डॉ. माया टंडन कर रही ऐसा नेक काम की पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया नाम

Inspirational Story: आधी आबादी यानी महिलाओं की सोच को अखबार में उतारने के लिए पत्रिका की पहल संडे वुमन गेस्ट एडिटर के तहत आज की गेस्ट एडिटर सोशल एक्टिविस्ट डॉ. माया टंडन हैं। हाल में आपको पदम्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। आप राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद की पूर्व सदस्य भी रह चुकी हैं।

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Dr. Maya Tondon: आधी आबादी यानी महिलाओं की सोच को अखबार में उतारने के लिए पत्रिका की पहल संडे वुमन गेस्ट एडिटर के तहत आज की गेस्ट एडिटर सोशल एक्टिविस्ट डॉ. माया टंडन हैं। हाल में आपको पदम्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। आप राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद की पूर्व सदस्य भी रह चुकी हैं। आप पिछले 30 वर्षों से सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने का काम कर रही हैं। आपने सड़क दुर्घटनाओं के दौरान जीवन रक्षक प्रणालियों के बारे में लोगों को जागरूक करने की पहल की। आपका कहना है कि हर कोई सड़क सुरक्षा के बारे में जानता है, लेकिन जीवन बचाने के तरीकों के बारे में कम ही जानते हैं। हर नागरिक को सड़क सुरक्षा के लिए जीवन बचाने के तरीकों का ज्ञान होना बेहद जरूरी है। इससे सड़क हादसों में कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। आप मानती हैं कि मानवसेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है।


शशांक अवस्थी
भोपाल. सड़क दुर्घटना हो या सांप ने काटा हो, सबसे पहले क्या करें यह सवाल अक्सर पीडि़त और साथ मौजूद लोगों के मन में होता है। इजरायल समेत अन्य देशों में इस तरह की ट्रेनिंग स्कूल के समय से ही दी जाती है लेकिन भारत में यह ट्रेनिंग मेडिकल फील्ड से जुड़े लोगों के अलावा गिने चुने लोग ही करते हैं। लोगों को आपात चिकित्सा देखभाल के तरीके सिखाने के लिए पन्द्रह मेडिकल स्टूडेंट्स का एक ग्रुप काम कर रहा है। इन्हीं में से एक डॉ. कुलदीप गुप्ता भी हैं।


जयकुमार भाटी

जोधपुर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी जानकारी के अभाव में समय पर उपचार नहीं मिल पाने से ग्रामीण कैंसर के कारण जान गंवाते हैं। गांव-ढाणियों में कैंसर जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में समाजसेवी उम्मेदराज जैन मोबाइल वैन के माध्यम से कैंसर जांच के लिए निशुल्क शिविर लगा रहे हैं। उनका सपना है कि सरकार के सहयोग से प्रदेश में ज्यादा कैंसर जांच शिविर लगाकर इसे कैंसर मुक्त बनाया जाए। इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक भी करते हैं।


शरद त्रिपाठी
बिलासपुर. युवा ही बदलाव की डोर थामे समाज को एक नई दिशा दिखा सकते हैं। यह साबित किया है युवा डॉक्टरों ने, जो मानवसेवा को समर्पित अपना हर धर्म निभा रहे हैं। शहर के युवा डॉक्टरों की टीम बेसहारा मरीजों के लिए न केवल इलाज, कपड़े व आधारभूत चीजों की व्यवस्था कर रही है बल्कि ठीक होने के बाद उन्हें केयर होम्स में भी शिफ्ट करा रही है। इन युवा डॉक्टरों ने वर्ष 2011 में 'प्यारे ग्रुप' बनाया था। इस ग्रुप में मेडिकल स्टूडेंट्स, जूनियर व सीनियर डॉक्टर्स शामिल हैं। ये बेसहारा मरीजों के कपड़े बदलने से लेकर भोजन खिलाने तक हर काम करते हैं।