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Rajasthan: 2 साल में 122 बजरी खानों का आवंटन, महज 4 को मिली EC; अवैध खनन से जनता लूट रही… कैसे हो सस्ती?

राजस्थान में गत दो वर्षों में बजरी की 122 खानें नीलामी के जरिए आवंटित की गई है, लेकिन पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र अभी तक मात्र 4 बजरी खानों को ही मिले हैं।

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Photo- Patrika Website

सुनील सिंह सिसोदिया

राजस्थान में बजरी के अवैध खनन और माफिया की सक्रियता के बावजूद इसके स्थायी समाधान को लेकर राज्य सरकार के स्तर पर गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं। पहले बजरी खानों की कमी और अब खानें नीलामी की जरिए आवंटित करने के बाद पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र (ईसी) जारी कराने को लेकर उदासीनता बरती जा रही है। इसके चलते बजरी का अवैध खनन थम नहीं रहा।

प्रदेश में गत दो वर्षों में बजरी की 122 खानें नीलामी के जरिए आवंटित की गई है, लेकिन पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र अभी तक मात्र 4 बजरी खानों को ही मिले हैं। इससे वर्तमान में संचालित बजरी खानों से प्रदेश की मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही। इसका फायदा खनन माफिया उठा रहा है और जनता महंगी बजरी खरीदने को मजूबर है।

अभी 2 दर्जन खानों में खनन

राजस्थान में वर्तमान में बजरी की करीब 24 खानों में ही खनन हो रहा है। बजरी की आपूर्ति को लेकर 122 खानों की नीलामी की गई है, लेकिन अब तक पाली में दो और जोधपुर व भीलवाड़ा में एक-एक खान को ही पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल सका है। प्रदेश में अभी करीब 118 खानों को पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने का इंतजार है।

नई खानें चालू होने से दरों में आएगी कमी

राजस्थान में बजरी की नई खानों की नीलामी के प्रावधानों में दर नियंत्रण को लेकर भी प्रावधान किए गए हैं। इससे नई खानों के संचालन के बाद बजरी की दरों में भी काफी कमी आएगी। नई खानों से बजरी नदी क्षेत्र में करीब दो सौ रुपए टन में मिल सकेगी।

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