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राजस्थान विधानसभा चुनाव: निर्दलीयों को तरजीह नहीं दे रहा जयपुर जिला, कांग्रेस और भाजपा पहली पसंद

Rajasthan Election : राजस्थान में विधानसभा चुनाव का दंगल चल रहा है और पिछले तीस साल से एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा सरकार बना रही है।

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जयपुर

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Nupur Sharma

Nov 12, 2023

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Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान में विधानसभा चुनाव का दंगल चल रहा है और पिछले तीस साल से एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा सरकार बना रही है। तीसरे मोर्चे या निर्दलीय भी कुछ ही सीटों तक जीत पा रहे हैं। जयपुर के पिछले तीन चुनावों में भी जनता ने निर्दलीयों या तीसरे मोर्चे के नेताओं को ज्यादा तरजीह नहीं दी। हालांकि यह कह सकते हैं कि निर्दलीयों ने कई सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों की हार-जीत का समीकरण जरूर बिगाड़ा है।

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सर्वाधिक जीते निर्दलीय: पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की 19 में से 3 सीटों पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी और ये तीनों ही कांग्रेस के बागी थे। इनमें शाहपुरा से आलोक बेनीवाल, बस्सी से लक्ष्मण मीणा और दूदू से बाबूलाल नागर चुनाव जीते थे। आलोक बेनीवाल ने कांग्रेस के मनीष यादव को चुनाव में हराया था वहीं बस्सी में मीणा ने भाजपा के कन्हैयालाल को मात दी थी। बस्सी में तो कांग्रेस का प्रत्याशी दौलत मीणा चौथे स्थान पर रहा था। इसी तरह दूदू सीट पर निर्दलीय नागर ने भाजपा के प्रेमचंद बैरवा को हराया था। यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी रितेश बैरवा तीसरे स्थान पर खिसक गया था।

इस बार भी बागी कम नहीं: अबकी बार विधानसभा चुनाव में बागी ज्यादातर ग्रामीण सीट शाहपुरा, बस्सी, फुलेरा, चौमूं आदि में ही अपनी गणित देख रहे हैं और वोटर को लुभाने की कोशिश में जुटे हैं। इनमें कांग्रेस और भाजपा के ही प्रमुख नेता बागी बने हुए हैं।

वर्ष 2013 में दो सीटों पर जीते निर्दलीय
वर्ष 2013 के चुनाव में दो सीटों पर निर्दलीयों का कब्जा था। इनमें बस्सी सीट पर अंजू धानका ने जीत हासिल की थी। वहीं आमेर में एनपीपी के नवीन पिलानिया ने भाजपा के सतीश पूनिया को हराया था। आमेर में कांग्रेस प्रत्याशी गंगासहाय शर्मा तीसरे स्थान पर रहा था। इसी तरह 2008 में भी दो सीटों पर ही इन्हें जीत मिल पाई थी। इनमें बस्सी से अंजू धानका पहली बार विधायक बनी थीं और कोटपूतली से लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के रामस्वरूप कसाणा ने चुनाव जीता था।

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शहरी सीटों पर कोई असर नहीं
निर्दलीय या तीसरे मोर्चे के प्रत्याशियों के कारण जयपुर शहर की सीटों पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। जिन सीटों पर निर्दलीय या तीसरा मोर्चा भारी पड़ा है वे ग्रामीण इलाके की हैं। इससे साफ दिख रहा है कि शहर की जनता तो कांग्रेस या भाजपा को ही चुनती आई है।