उन्होंने कहा कि वित्त विनियोग विधेयक के माध्यम से सरकार इस बजट को पास कराएगी, मगर जितनी राशि की सरकार अनुमति ले रही है, वह पैसा आखिर आएगा कहां से ? सरकार के लोग केंद्र को पानी पी-Rajasपीकर आरोप लगाते हैं, लेकिन उन्हें सोचना चाहिए कि खर्चे का ज्यादातर पैसा केंद्र से ही मिल रहा है। राठौड़ ने कहा कि मैंने पहली बार वसूली की नई एंट्री देखी है। यह एंट्री 12 हजार 900 करोड़ रुपए की है, मगर वसूली होती नहीं है। सिर्फ बजट साइज को बढ़ाना है इसलिए यह नई एंट्री की गई।
सबसे कम उपस्थिति सीएम की रही
उन्होंने कहा कि 15वीं विधानसभा का यह सत्र राजस्थान के इतिहास में याद किया जाएगा। इस विधानसभा में सीएम ने भी रिकॉर्ड बनाया है। मैं कई बार का सदस्य हूं, लेकिन सबसे कम विधानसभा में उपस्थिति सीएम की रही। राज्यपाल के अभिभाषण पर रिप्लाई, बजट पढने और आज बजट पर रिप्लाई की आपकी मजबूरी रह गई। आपका बजट के प्रति कितना कमिटमेंट हैं, यह आपकी सदन में उपस्थिति से पता चलता है।
ढाई दर्जन विधायक आपके खिलाफ बोले
राठौड़ ने कहा कि सत्तापक्ष ने स्तुति गान किए। मगर आपने पिछले बजट के कुछ पन्ने पढ़ दिए। मैं आपको गांधीवादी मानता हूं, मगर सावचेत कर रहा हूं कि ढाई दर्जन विधायक आपके खिलाफ बोले हैं। उन्होंने कहा कि आदर्श आचार संहिता कुछ महीने बाद लग जाएगी। आप राजस्थान में जाएंगे, मगर आपको तख्ती लिए लोग मिलेंगे कि बजट की घोषणाएं पूरी नहीं हूं। आपको काले झंडे भी दिखाए जा सकते हैं। राठौड़ ने सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा पर भी कटाक्ष किया और कहा कि सीएम ने बजट बनाते समय आपको याद नहीं किया। मैं अपका शुभचिंतक हूं।
मैं ओपीएस का विरोधी नहीं, मगर पैसा कहां से आएगा
राठौड़ ने कहा कि मैं ओल्ड पेंशन स्कीम यानि ओपीएस का विरोध नहीं हूं। मगर सरकार पेंशन देने के लिए पैसा कहां से लाएगी। आपने ओपीएस को लागू किया, मगर पैसे को प्रबंध तो करो। इस ओपीएस के लिए 2024-25 में 30 हजार करोड़ रुपए का सरकार पर भार आएगा। आप आने वाली सरकारों के लिए कंटीला मार्ग छोड़ कर जा रहे हो।
ईआरसीपी के मुद्दे को जिंदा रखना है या काम भी करना है
राठौड़ ने ईआरसीपी के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस पर पूरा भाषण देगे। इन्होंने योजना पर 13 हजार करोड़ के व्यय की घोषणा की थी, मगर पिछले वर्ष जितना पैसा इस योजना के मद में रखा गया, उसके मुकाबले केवल 1284 करोड़ रुपए खर्च किया गया। मैं सीएम से पूछता चाहता हूं कि केवल इस मुद्दे को जिंदा रखना है या फिर काम करना है।
ये भी बोले राठौड़
—संविदाकर्मियों को नियमित करने के जो रूल्स बनाए गए हैं, उनसे 1.10 लाख में 10—12 हजार का भी नियमितिकरण् नहीं हो पाएगा।
—चार साल बीत गए, अंतिम बजट आ गया, मगर सरकार जवाबदेही कानून नहीं लाई
—तीन वर्षों में पर्यटन का पूरा पैसा खर्च नहीं किया गया
—स्कूल बहुत खोल दिए, मगर इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए तो पैसा ही नहीं दिया
—जलवायु नीति की घोषणा हुई थी, मगर यह नीति नहीं आई। नतीजा विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में राजस्थान के चार शहर शामिलं
—स्कूली छात्राओं को ड्रेस नहीं मिल पाई है।
—समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद शुरू नहीं हो पाई है