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Rajasthan: सरकारी सुविधा या सरकारी सजा… बीमार का इलाज नहीं, सिस्टम के प्रोटोकॉल में उलझा अस्पतालों का तंत्र

राजस्थान में RGHS और RJHS जैसी योजनाओं का लाभ लेना अब काफी कठिन हो गया है। यदि आप कोई फ्री में जांच कराना चाहते हैं, तो एडमिट होना पड़ेगा।

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जयपुर

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Kamal Mishra

Aug 03, 2025

Government Hospital

फाइल फोटो-पत्रिका

जयपुर। राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) और राजस्थान जर्नलिस्ट हेल्थ स्कीम (RJHS) जैसी योजनाएं अब सरकारी अस्पतालों में मरीजों की तकलीफें बढ़ा रही हैं। ओपीडी में इलाज कराने आए मरीजों को MRI, सीटी स्कैन, एंजियोग्राफी जैसी महंगी जांच करवाने के लिए बेवजह भर्ती होना पड़ रहा है, क्योंकि योजना का सॉफ्टवेयर केवल आइपीडी (इंडोर) में भर्ती मरीजों की जांचों का ही भुगतान करता है।

इस तकनीकी खामी के कारण अस्पतालों के इंडोर वार्डों पर अनावश्यक बोझ बढ़ गया है और जरूरतमंद मरीजों को बेड मिलने में परेशानी हो रही है। यह समस्या बुजुर्ग पेंशनर्स और सरकारी कर्मचारियों के लिए और भी अधिक परेशान करने वाली साबित हो रही है।

बेवजह भर्ती, दिनभर की दौड़

जनाधार से जुड़ाव के कारण जैसे ही मरीज की पर्ची बनती है, सिस्टम उसे आरजीएचएस या आरजेएचएस लाभार्थी के रूप में चिह्नित कर लेता है। इससे ओपीडी सेवाएं 'शून्य' दर्शाई जाती हैं और मरीज को भर्ती हुए बिना जांच संभव नहीं होती। बेड उपलब्ध न होने पर मरीजों को काफी परेशानी होती है।

सरकारी अस्पतालों में भी 'निजी' जैसा व्यवहार

आरजेएचएस योजना में निजी अस्पतालों में ओपीडी सुविधा उपलब्ध नहीं है, ऐसे में पत्रकारों को नि:शुल्क ओपीडी इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है लेकिन वहां भी सॉफ्टवेयर की बाध्यता के चलते उन्हें ओपीडी में जांच नहीं दी जा रही। एसएमएस अस्पताल में एक आरजेएचएस लाभार्थी को एमआरआइ और सीटी स्कैन की सलाह दी गई, लेकिन जनाधार लिंक होने से पर्ची नहीं बन सकी और उन्हें भी भर्ती होने को कहा गया।

आइपीडी में भीड़, ओपीडी में नाराजगी

चिकित्सकों का कहना है कि इस तकनीकी अड़चन के चलते इंडोर वार्डों में बिना जरूरत के मरीज भर्ती हो रहे हैं, जिससे संसाधनों पर दबाव और वास्तविक जरूरतमंदों को परेशानी हो रही है। वहीं मरीजों का कहना है कि जिन योजनाओं से राहत मिलनी चाहिए थी, वे अब चक्कर और इंतजार की वजह बन रही हैं।

अनियमितताओं के चलते फैसला

आरजीएचएस में सामने आई अनियमितताओं के बाद कुछ महंगी जांचों के लिए इंडोर अनिवार्य किया गया है। सभी पर्चियां सॉफ्टवेयर से बनती हैं और जनाधार से जुड़े कार्ड योजना का लाभ तय करते हैं। यही प्रक्रिया लागू है। -डॉ. दीपक माहेश्वरी, प्राचार्य एवं नियंत्रक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज