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सुनील सिंह सिसोदिया
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के अंतिम साढ़े 8 माह के कामों की जांच के लिए बनी मंत्रिमंडलीय समिति डेढ़ साल बाद भी काम पूरा नहीं कर सकी है। समिति को यह जांच 3 माह में पूरी करनी थी। इतना जरूर है कि डेढ़ वर्ष में कमेटी की करीब 20 बैठकें हो चुकी हैं। इसके बावजूद जांच रिपोर्ट बाहर नहीं आई है। बताया जा रहा है कि अभी कमेटी की और बैठकें भी होंगी।
भाजपा सरकार के सत्ता आने के बाद 1 फरवरी 2024 को चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के नेतृत्व में यह कमेटी बनी थी। कमेटी को पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के साढ़े 8 माह के निर्णयों की जांच सौंपी गई थी। इसके अलावा गत 5 साल में नोन-बीएसआर (बेसिक शेड्यूल ऑफ रेट्स) के कराए गए कार्यों की भी जांच करनी थी। मंत्रिमंडल सचिवालय की ओर से जारी आदेश में जांच रिपोर्ट कमेटी को 3 माह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सौंपने को कहा गया था।
भाजपा सरकार बनने के बाद मंत्री और भाजपा नेता लगातार पिछली सरकार के कामकाज की जांच की मांग कर रहे थे। पहली केबिनेट बैठक में ही मंत्री किरोडी लाल मीना ने जांच कराने की मांग रख दी थी। इसी आधार पर मंत्रिमंडलीय कमेटी गठित की गई थी। इसमें मंत्री खींवसर के अलावा जोगाराम पटेल, सुमित गोदारा और मंजू बाघमार को शामिल किया गया था।
मंत्रिमंडलीय कमेटी को 1 अप्रेल 2023 से 14 दिसंबर 2023 तक के मंत्रिमंडल एवं विभागीय फैसलों की जांच करनी थी। इसके अलावा कांग्रेस सरकार में पांच वर्ष में बिना बीएसआर दर के हुए कामों की भी जांच करनी थी। इसको लेकर कमेटी संबंधित विभागों से रिकॉर्ड जुटाया और अधिकारियों के साथ बैठकें की। बड़ी संख्या में इनमें जमीन आवंटन के भी मामले शामिल किए गए थे। लेकिन कमेटी की जांच रिपोर्ट नहीं आई है।
पिछली सरकार के आखिरी छह माह के कार्यकाल में हुए मंत्रिमंडल के जमीन आवंटन सम्बन्धी निर्णयों की समीक्षा कर ली है। इसके करीब 15-20 बैठक की गईं। अब कुछ और बिन्दुओं पर चर्चा कर इस कार्य को अंतिम रूप दिया जाएगा।
-जोगाराम पटेल, संसदीय कार्य मंत्री
Published on:
05 Jul 2025 09:33 am
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