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विश्व के पहले ओम आकृति मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा आज, सीएम भजनलाल होंगे शामिल

World First Om Akriti Temple Consecration Today : राजस्थान के पाली जिले के जाडन में दुनिया के पहले ओम आकृति वाले शिव मंदिर की आज प्राण-प्रतिष्ठा है। इस प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शामिल होंगे। जानें ओम की आकृति वाला शिव मंदिर की खासियतें।

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Om Akriti Temple - CM Bhajanlal Sharma

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा आज पाली का दौरा करेंगे। इस पाली दौरे का मकसद ॐ आकार के शिव मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना है। आज सोमवार 19 फरवरी को विश्व के पहले ओम आकृति मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने के बाद भजनलाल शर्मा का पाली जिले का पहला दौरा है। सीएम भजनलाल शर्मा के पाली दौरे का पूरा शेड्यूल कुछ इस प्रकार है। सीएम भजनलाल शर्मा सोमवार को प्रातः 11.15 बजे हेलीकॉप्टर के जरिए जयपुर से प्रस्थान करेंगे। सीएम भजनलाल 12.30 बजे जाडन स्थित ओम आश्रम पहुचेंगे। जहां पर दुनिया के पहला ॐ आकार शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होगा। सीएम भजनलाल भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेंगे। इसके बाद दोपहर 1.45 बजे जिला परिषद सभागार में जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक लेंगे। दोपहर 2.45 बजे स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेंगे। शाम 4.15 बजे जयपुर के लिए रवाना हो जाएंगे।



राजस्थानके पाली जिले में दुनिया का पहला ओम की आकृति वाला शिव मंदिर बनकर तैयार है। पाली के जाडन में साल 1995 से पहले ॐ आकार के योग मंदिर बनाने की शुरूआत की गई थी। 28 साल बाद यानि 10 फरवरी 2024 में इस मंदिर का लोकार्पण किया गया। आज 19 फरवरी को इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा है। समारोह प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम, पूजा-अर्चना और विशेष आकर्षण शामिल होंगे। मंदिर के उद्घाटन को लेकर मंदिर प्रशासन ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है।

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ॐ आकार का 4 मंजिला शिव मंदिर करीब 250 एकड़ में बनाया गया है। इस मंदिर में कुल 108 पिलर्स हैं। शिव नाम की 1008 प्रतिमाएं और 108 कक्ष बनाए गए है। शिव मंदिर के साथ ही यहां 7 ऋषियों की भी समाधि है। 135 फीट ऊंचा मंदिर का शिखर है जिसके सबसे ऊपर वाले हिस्से में शिवलिंग स्थापित है और इस पर ब्रह्मांड की आकृति उकेरी गई है। इस मंदिर के निर्माण का सपना श्री अलखपुरी सिद्धपीठ परंपरा के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर महेश्वरानंद महाराज ने देखा था। मंदिर को बनाने में धौलपुर के बंसी पहाड़पुर के लाल पत्थर इस्तेमाल किया गया है।

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