
Ranmal Singh
Rajasthan Vidhan Sabha Chunav 2023 : राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा और परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। 9 अक्टूबर को चुनावी तिथि की घोषणा के बाद कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित विभिन्न दल भी चुनावी मैदान में ताथ ठोक रहे हैं। परिणाम घोषित होने के बाद यह साफ हो जाएगा कि प्रदेश में 2023 के रण में सरकार किस पार्टी की बनेगी। चुनावी मैदान में कांग्रेस, भाजपा सहित विभिन्न दलों के कई दिग्गज मैदान में मौजूद हैं। सभी जीत के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
इनमें कई नेता ऐसे हैं जिनके नाम कम या कई हजार मतों से हार या जीत का रिकॉर्ड दर्ज है। लेकिन, एक नेता ऐसा भी है जिनके नाम के साथ एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज होने वाला है। हम बात कर रहे हैं रणमल सिंह की। सीकर जिले के ग्राम कटराथल में एक किसान परिवार में जन्में रणमल सिंह 19 नवंबर को 100 साल के हो जाएंगे। वह भारत की आजादी से पहले शेखावाटी में जयपुर प्रजामंडल आंदोलन से जुड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए।
उन्होंने किसानों के हित में शेखावाटी क्षेत्र में जागीरदारों और जमींदारों के खिलाफ शेखावाटी किसान आंदोलन का नेतृत्व किया। बाद में लगभग 4 दशकों तक कटराथल गांव के सरपंच रहे। 15 वर्षों तक वे पंचायत समिति पिपराली के प्रधान रहे और 1977 में सीकर से विधायक बने। वर्ष 1977 में आपातकाल के चलते कांग्रेस विरोधी लहर में वह प्रदेश में आयोजित विधानसभा चुनाव में जीते सभी कांग्रेस विधायकों के मुकाबले सबसे अधिक अंतर से जीत हासिल की थी। उस वक्त केवल सिंह सहित केवल कांग्रेस के 41 विधायक ही जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
रणमल सिंह सीकर जिले में सीकर सहकारी बैंक, क्रय विक्रय सोसायटी, भूमि विकास बैंक, कृषि उपज मंडी सहित सभी सहकारी संस्थानों के अध्यक्ष रहे हैं। 2011 में सिंह को सहकार रत्न से सम्मनित किया गया था। वह स्थानीय युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं और आज भी गरीब, वंचित वर्ग और बालिका शिक्षा के उत्थान में सक्रिय हैं। वह शेखावाटी क्षेत्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता और लोकप्रिय राजनीतिक नेता रहे हैं। वह आर्य समाज के सच्चे आस्तिक और अनुयायी रहे हैं और उन्होंने समुदाय को विभिन्न सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लडऩे में मदद की है। वह बाल-विवाह, दहेज, अस्पृश्यता, मृत्यु भोज और पर्दा प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को मिटाने में अग्रणी रहे थे। वह भारतीय किसान संघ सहित कई किसान, सहकारी और राजनीतिक संगठनों के अध्यक्ष रहे हैं।
Published on:
18 Nov 2023 10:22 pm
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