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पूरी फिल्मी है ‘सीकर बॉस’ के नाम से मशहूर राजू ठेहट के गैंगस्टर बनने की कहानी

राजस्थान के सीकर जिले में कुख्यात हिस्ट्रीशीटर राजू ठेहट की शनिवार सुबह बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। सीकर के पिपराली रोड़ पर इस दौरान बदमाशों की गोली से एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हो गई।

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अक्षिता देवड़ा, जयपुर. राजस्थान के सीकर जिले में कुख्यात हिस्ट्रीशीटर राजू ठेहट की शनिवार सुबह बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। सीकर के पिपराली रोड़ पर इस दौरान बदमाशों की गोली से एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हो गई। 'सीकर बॉस' के नाम से मशहूर ठेहट राजू ठेहट के गैंगस्टर बनने की कहानी 25 साल पहले शुरू हुई। राजू ठेहट को उसके बॉडीगार्ड हमेशा घेरे रहते थे।

करीब 25 साल पहले एबीवीपी का कार्यकर्ता गोपाल फोगावट शराब के बिज़नेस से जुड़े होने के कारण राजू ठेहट का गुरु बन गया। गुरु के साथ मिलकर राजू ठेहट ने खूब पैसे कमाए। इसी दौरान राजू की मुलाकात बलबीर बानूड़ा से हुई। बलबीर बानूड़ा दूध का कारोबार करता था, लेकिन ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में राजू के साथ शराब का कारोबार करने लगा। दोनों ने मिलकर कारोबार के साथ अपराध की दुनिया में भी कदम रख दिया।

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दोनों ने मिलकर सीकर मे भेभाराम हत्याकांड को अंजाम दिया। बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट ने शेखावाटी मे अपनी दहशत ऐसी फैलाई की अगर कोई शेखावाटी मे शराब जैसे अवैध कारोबार से जुड़ा हुआ हो तो और वह राजू और बलबीर की बात नहीं मानता हो तो उसको खत्म कर दिया जाता। 2004 में राजस्थान में शराब के ठेकों की लॉटरी निकली, जिसमें जीण माता में शराब की दुकान राजू और बलबीर के निकली। दुकान में बलबीर का रिश्ते में लगने वाला विजयपाल सेल्समेन बना, लेकिन इस कारोबार में फायदे से ज्यादा नुकसान होने लगे। राजू बलवीर के साले पर शक करने लगा की वो उनके इस बिज़नेस में घपला कर रहा है। इस पर राजू और बलवीर के साले की कहा सुनी इतनी बढ़ गई कि राजू ने उसे मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद बलवीर और राजू की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई।

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बदला लेने के लिए बलवीर ने राजस्थान के मशहूर गैंगस्टर आनंदपाल से हाथ मिला लिया और राजू को मारने की प्लानिंग करने लगा। इसके साथ ही दोनों ने शराब और माइनिंग का बिजनेस शुरू किया, जिसमें खूब फायदा हुआ। दोनों गैंग आए दिन भिड़ने लगी और 2006 में राजू से बदला लेने के लिए बलवीर ने राजू के गुरु गोपाल का मर्डर कर दिया। बदले की आग अब राजू की तरफ से भी बढ़ गई। पुलिस से बचकर दोनों गैंग वारदातों को अंजाम देती। राजू और आनंदपाल को जेल हो गई और जेल में बलबीर बानूड़ा और आनदपाल पर 24 जुलाई 2014 को बीकानेर जेल में हमला बोल दिया जिसमें बलवीर मर गया लेकिन आनंदपाल बच गया। अब गैंगस्टर एक दूसरे को मारने पर उतारू हो गए। इसके बाद आनंदपाल एनकाउंटर में मारा गया। अब राजू ठेहट की घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई।