लोगों के भीतर का रावण अभी जिंदा है देखिये कार्टूनिस्ट सुधाकर सोनी की यह व्यंग्य रचना.
अभी दो दिन पूर्व ही रविवार को देशभर में दशहरा मनाया गया. जगह-जगह रावण के पुतले जलाए गए. लेकिन देखा जाए तो वर्तमान समय में रावण के पुतले जलाने की परंपरा की औपचारिकता ही निभाई जा रही है . समाज के असली रावण तो आज भी खुले घूम रहे हैं .ताजा घटनाक्रम राजस्थान के अलवर जिले का है, जहां पर एक शराब के ठेकेदार ने अपने सेल्समैन को वेतन मांगने पर पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया. राजस्थान में इससे पूर्व करौली जिले में भी मंदिर के पुजारी को जिंदा जलाने की घटना कुछ ही दिन पहले घटित हुई है. इस तरह के घटनाक्रम से पता चलता है कि हमारे समाज में नफरत हिंसा और क्रूरता किस तरह बढ़ती जा रही है.मनुष्य के अंदर की मनुष्यता खत्म होती जा रही है. सवाल ये उठता है कि रावण के पुतले फूंकने का क्या औचित्य है जबकि हमारे अंदर का रावण जिंदा है. समाज के अमन शांति और सद्भाव को खत्म करने वाले अपराधी रूपी रावण जब तक खुले घूमते रहेंगे, तब तक दशहरा मनाने का कोई मतलब नहीं रह जाता .देखिए कार्टूनिस्ट सुधाकर का ये कार्टून.
Published on:
26 Oct 2020 11:34 pm
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