
नौ साल पहले आया परिणाम तो बांटी मिठाई, अब तक नहीं मिली नौकरी
सीकर। प्रदेश में सरकारी भर्तियों (government recruitment) की कछुआ चाल बेरोजगारों (unemployed) की मुसीबत बढ़ा रही है। नौ साल पहले चिकित्सा विभाग (medical Department) की ओर से एएनएम (ANM) के 12278 पदों पर बोनस अंकों (bonus points) के आधार पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे। विभाग ने चयनित अभ्यर्थियों की सूची भी जारी कर दी। परिणाम की खुशियों में अभ्यर्थियों ने मिठाई भी बांट (distributed sweets) दी। लेकिन अभी तक नियुक्ति (appointment) नहीं दी है। पिछले नौ साल से बेरोजगार अभ्यर्थियों की ओर से सरकारी सिस्टम से लगातार नौकरी की जंग लड़ रही है, लेकिन कही कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अब बेरोजगार महिलाओं ने सरकार को नौकरी या इच्छा मृत्यु देने की मुहिम शुरू करने का ऐलान किया है।
बोनस अंक की वजह से न्यायालय तक पहुंची भर्ती
सरकार ने इस भर्ती में अधिकतम अनुभव के आधार पर 30 अंक देने का निर्णय लिया था। इसमें एक साल के लिए न्यूतनम दस, दो साल के लिए बीस व तीन साल के अनुभव पर 30 अंक देने का प्रावधान था। लेकिन कुछ अभ्यर्थियों के अनुभव प्रमाण पत्रों को नहीं मानने की वजह से मामला न्यायालय तक पहुंच गया था। हालांकि बाद में न्प्यायालय ने भर्ती को हरी झंडी दे दी थी।
भाजपा ने लगभग छह हजार को दी नियुक्ति
एएनएम आंदोलन के बीच में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया। इसके बाद भाजपा ने लगभग छह हजार महिलाओं को नौकरी भी दे दी। लेकिन आधी महिलाओं को अभी भी नौकरी का इंतजार है।
कांग्रेस ने फिर सत्ता में आने पर बना दी कमेटी
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बेरोजगारों से सत्ता में आने पर सभी को नियुक्ति देने का वादा कर दिया। इस पर सरकार ने पहले साल चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, राज्य मंत्री सुभाष गर्ग व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की अध्यक्षता में कमेटी बना दी, लेकिन इस कमेटी की रिपोर्ट पर अब तक अमल नहीं हुआ है। बेरोजगार महिलाओं का आरोप है कि उनके समर्थन में अब तक 100 से अधिक विधायक भी सरकार को पत्र लिख चुके है।
केस एक: नौकरी के इंतजार में ओवरएज
सुनीता ख्यालिया ने बताया कि वर्ष 2013 की भर्ती में नंबर आ गया था। इसके बाद विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना भी छोड़ दिया। एक तरफ सरकार की ओर से कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी के लिए अस्थाई तौर पर कोविड सहायक लगाए जा रहे हैं, लेकिन पहले से चयनित अभ्यर्थियों की सुध नहीं ली जा रही है। इस कारण प्रदेश की लगभग छह हजार महिलाएं ओवरएज हो गई है।
केस दो: नौकरी या इच्छामृत्यु कुछ तो दो सरकार
अभ्यर्थी संतरा का कहना है कि भाजपा सरकार के समय आधे अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई, लेकिन कांग्रेस का ढाई साल का कार्यकाल गुजरने के बाद भी चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी जा रही है। अब एएनएम की ओर से सरकार से आर-पार की जंग लड़ी जाएगी। सरकार या तो नौकरी दें नहीं सभी चयनित महिलाओं को इच्छा मृत्यु की अनुमति दें।
केस तीन: चहेतों को गुपचुप तरीके से नियुक्ति भी दी
एएनएम भर्ती 2013 में चहेतों को मनमर्जी से नौकरी देने पर भी सवाल उठ रहे हैं। अभ्यर्थी सरिता ने बताया कि कई चहेतों पर विभाग ने मेहरबानी दिखाते हुए नियुक्ति दी है। उनका कहना है कि सरकार के पास फिलहाल दस हजार से अधिक रिक्त भी है। ऐसे में सरकार यदि कमेटी की रिपोर्ट को लागू करें तो आसानी से नियुक्ति दे सकती है।
Published on:
15 Jul 2021 10:23 pm
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