
शिलालेख में जयपुर के राजा सवाई जयसिंह को बताया बाबर के वंशजों का नौकर, राजपूत समाज का अपमान
जयपुर। जयपुर शहर को बसाने वाले पूर्व महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को उज्बेकिस्तान के समरकंद के शिलालेख में बाबर के वंशजों का नौकर बताया गया है। शिलालेख में जहां बाबर की तारीफ की गई है वहीं महाराजा जयसिंह के बारे में अपमानजनक तथ्य लिखे गए। शिलालेख की वायरल हो रही फोटोज के बाद सोशल मीडिया पर इसका काफी विरोध हो रहा है।
खास यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस समय उज्बेकिस्तान के समरकंद में ही है। प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री वहां शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। इसी दौरान पूर्व महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के लिए शिलालेख पर अंकित यह बात वायरल हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर से इन शिलालेख को हटवाने की अपील कर रहे हैं
यह लिखा है शिलालेख में
समरकंद की वेद्यशाला में यह लिखा है : भारत में 17वीं—18वीं सदी के दौरान शासन करने वाले मिर्जा बाबर के पूर्वज मिर्जा उलुग बेग से गणित, वास्तुकला और खगोल विज्ञान की गहन रूचि थी। उन्होंने इन पर विशेष ध्यान दिया। 18वीं सदी में बाबर के वंशज मुहम्मद शाह (1719-1748) ने अपने नौकर सवाई जयसिंह को जयपुर, बनारस और दिल्ली में वेधशालाएं बनाने का आदेश दिया। यहां की वेधशालाओं में समरकंद वेधशाला के ही उपकरणों की नकल की गई है।
निजामाबाद से एमएलसी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी टीआरएस नेता कल्वकुंतला कविता ने इस संबंध में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने इसका विरोध करने की मांग की है।
सम्मेलन में आज पुतिन के साथ मोदी की द्विपक्षीय वार्ता
2020 की कोरोना महामारी के बाद यह पहली बार है, जब पीएम मोदी, उनके पाकिस्तानी समकक्ष शहबाज शरीफ, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। एससीओ के 8 पूर्ण सदस्य हैं। 6 संस्थापक सदस्यों में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं। भारत व पाक 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए। पीएम मोदी शुक्रवार को रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।
Published on:
16 Sept 2022 02:25 pm
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