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…इसलिए जैसाण में नहीं फट पाया कोरोना बम!

प्रवासी ही पाए गए संक्रमित जैसलमेर. कोरोना की वैश्विक महामारी में भी सीमावर्ती जिला अब तक महफूज है। जिले में हालांकि अब तक 108 पॉजिटिव केस सामने आए हैं, लेकिन उनमें से किसी की मौत तो होना दूर, किसी को वेंटिलेटर पर लेने की जरूरत भी नहीं पड़ी और संक्रमित अपने आप कुछ दिनों के अंतराल में नेगेटिव हो रहे हैं।

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...इसलिए जैसाण में नहीं फट पाया कोरोना बम!

...इसलिए जैसाण में नहीं फट पाया कोरोना बम!


जिले में पहला कोरोना संक्रमित 5 अप्रेल को पोकरण में तब्लीगी जमात के सदस्यों के सम्पर्क की वजह से हुआ था। उसके बाद पोकरण क्षेत्र में ही संक्रमितों की संख्या बढ़ते-बढ़ते 35 तक पहुंच गई। वे सभी जोधपुर में उपचार के बाद तंदुरुस्त होकर घर लौट गए। उसके बाद प्रवासियों के जैसलमेर लौटने पर जिला मुख्यालय सहित सभी उपखंड क्षेत्रों में करीब डेढ़ दर्जन गांवों में संक्रमित पाए जरूर गए, लेकिन उनसे संक्रमण नहीं
फैल सका। तब्लीगी जमात के संपर्कितों के अलावा जिले में कोई रहवासी इस महामारी की चपेट में नहीं आया। जानकारों के अनुसार जैसलमेर की गरम जलवायु ने कोरोना के प्रसार को रोकने में अहम भूमिका अदा की। जैसलमेर में मुम्बई, पुणे, चेन्नई, सूरत, अहमदाबाद, इंदौर आदि शहरों से आए प्रवासी ज्यादातर संक्रमित पाए गए हैं। ये सभी शहर अपेक्षाकृत नमी वाले हैं। इसी तरह से जिले का विशाल भौगोलिक क्षेत्रफल और कम घनत्व में आबादी की बसावट के चलते प्राकृतिक रूप से सोशल डिस्टेंसिंग की पालना संभव हो पाई। जानकारों की मानें तो जिलावासियों का खानपान भी ऐसा है, जिससे उनकी प्रतिरोधक क्षमता बेहतर है। कई जानकार यह भी मानते हैं कि कोविड-19 वायरस की प्रभावशीलता कम हो रही है।
प्रशासन के प्रयास व जन जागरण
पोकरण में पॉजिटिव केसेज सामने आने के जैसलमेर जिला प्रशासन ने अधिकाधिक सेम्पल करवाने की रणनीति पर जोर दिया। इस रणनीति के चलते 40 फीसदी तक प्रवासियों के सैम्पल जांच के लिए भिजवाए गए। ये सभी गैर लक्षण वाले लोग थे, लेकिन इनमें भी दसियों लोग पॉजिटिव आ गए। उन्हें अलग करने तथा उनके कॉन्टेक्ट वालों की सैम्पलिंग से संक्रमण का खतरा जाता रहा। दूसरी ओर पिछले दिनों से आम जिलावासी भी जागरूक हुए हैं। लोग बाहर निकलने पर मास्क लगा रहे हैं और दूरी बनाकर चल रहे हैं। बार-बार हाथ धोने की आदत का विकास भी हुआ है।
भागीदारी से राहत
&यह सही बात है कि पोकरण क्षेत्र के बाद शेष जिले में रहने वाले संक्रमण से अब तक बचे रहे हैं। प्राकृतिक कारणों के साथ प्रशासन व चिकित्सा विभाग की तरफ से किए गए प्रयासों की इसमें मिलीजुली भागीदारी है।
-डॉ. दामोदर खत्री, पैथोलॉजिस्ट, जिला अस्पताल, जैसलमेर