scriptये हैं भारत का पहला फ्लोटिंग सोलर प्लांट बनाने वाले ‘सोलर मैन’ | solar man of colcatta invent india's first solar water puryfire | Patrika News
जयपुर

ये हैं भारत का पहला फ्लोटिंग सोलर प्लांट बनाने वाले ‘सोलर मैन’

ये हैं भारत का पहला फ्लोटिंग सोलर प्लांट बनाने वाले ‘सोलर मैन’
-कोलकाता के वैज्ञानिक एसपी गोन चौधुरी को इसी साल मई में कनाडा के प्रतिष्ठित ‘मिशन इनोवेशन चैंपियन’ अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है-1983 में त्रिपुरा के दूर-दराज इलाके में सौर-ऊर्जा से बिजली पहुंचाने का काम भी कर चुके हैं चौधुरी

जयपुरJul 15, 2019 / 04:04 pm

Mohmad Imran

1983 में त्रिपुरा के दूर-दराज इलाके में सौर-ऊर्जा से बिजली पहुंचाने का काम भी कर चुके हैं चौधुरी

कोलकाता के वैज्ञानिक एसपी गोन चौधुरी को इसी साल मई में कनाडा के प्रतिष्ठित ‘मिशन इनोवेशन चैंपियन’ अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है

जयपुर। सौर ऊर्जा की अपार क्षमता को भारत के वैज्ञानिकों ने दशकों पहले पहचान लिया था। इन्हीं में से एक वैज्ञानिक हैं कोलकाता निवासी संतति पदा गुन चौधुरी। इनकी बदौलत साल 1983 में त्रिपुरा के एक छोटे से गांव हेरमा में सौर ऊर्जा से रोशनी आई थी। उनके काम से खुश होकर तत्कालीन योजना आयोग उपाध्यक्ष डॉ. मनमोहन सिंह ने उन्हें उत्तर पूर्वी परिषद के सलाहकार के रूप में सीमावर्ती क्षेत्र के राज्यों में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी।

‘सोलरमैन ऑफ कोलकाता’ कहलाते
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 35 साल के अनुभव और उपलब्धियों के आधार पर उन्हें कोलकाता का सोलरमैन कहा जाने लगा। इसी साल मई में उन्हें वैंकूवर में कनाडा के प्रतिष्ठित ‘मिशन इनोवेशन चैंपियन’ अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। पेरिस सम्मेलन के तहत सौर एवं पवन ऊर्जा के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करने वाले लोगों को यह सम्मान दिया जाता है। गोन चौधरी ने भारत का पहला मेगावॉट-स्केल-ग्रिड-कनेक्टेड सोलर पावर प्लांट और पहला फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट भी स्थापित किया है। इतना ही नहीं उन्होंने मिनी ग्रिड अवधारणा पर काम करते हुए सुंदरवन में घरों तक बिजली पहुंचाने के अलावा कोलकाता में पहला सौर आवास परिसर भी डिजाइन किया है।
90 के दशक तक बिना बिजली के रहने वाले सुंदरबन डेल्टा के 50 लाख लोगों के लिए उन्होंने 1994 में मिनी ग्रिड अवधारणा के आधार पर सौर ऊर्जा से घर-घर बिजली पहुंचाई। चौधुरी का दावा है कि यह पहली बार था जब एशिया में मिनी-ग्रिड अवधारणा के माध्यम से एक गाँव का विद्युतीकरण किया गया था। उन्होंने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झांरखंड में भी सौर ऊर्जा के जरिए घरों को रोशन किया है। उनके कुछ ख़ास अविष्कारों के बारे में जानते हैं –
माइक्रो सोलर डोम
यह एक छोटा उपकरण है जो दिन में सौर ऊर्जा को एकत्र कर रात में सौर पीवी प्रणाली का उपयोग कर संचालित होता है। चौधुरी ने इस तकनीक को पेटेंट कराया है। इस डिवाइस को झुग्गी झोपडिय़ों की टिन-शीट की छतों पर लगाया जा सकता है। यह एक यूएसबी पोर्ट से भी लैस है जहां मोबाइल चार्ज कर सकते हैं। चार घंटे चार्ज होने पर पूरा दिन काम करता है। 11 राज्यों के सुदूर जनजातीय क्षेत्रों में करीब 10 हजार माइक्रो सोलर डोम काम कर रहे हैं।
सोलर वॉटर प्यूरीफायर
देश के सरकारी स्कूलों में स्वच्छ पीने योग्य पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए गोन चौधुरी ने एक सोलर वॉटर प्यूरीफायर का आविष्कार किया है। उनका दावा है कि यह अपनी तरी का पहला डिवाइस है। एक महीने में 30 यूनिट बिजली की बचत करने के साथ यह डिवाइस सौर ऊर्जा से संचालित यूवी लाइट के माध्यम सेपानी में मौजूद हानिकारक कणों और बैक्टीरिया को साफ करता है। छोटा प्यूरीफायर 100 छात्रों के लिए पर्याप्त है जिसकी कीमत 40 हजार रुपए है वहीं बड़ा प्लांट एक लाख रुपए का है जो 400 छात्रों के लिए काफी है। बादलों के दिन में भी इस प्यूरीफायर में 200 लीटर तक पानी रखा जा सकता है। इसकी रिजर्व बैटरी 3 से 4 दिन तक चल सकती है।
जनता सोलर एटीएम
ग्रामीण क्षेत्रों में 45 फीसदी से ज्यादा महिलाओं में निम्न साक्षरता दर और एटीएम जैसी मशीन के उपयोग की कम जानकारी के कारण वे पैसों का लेन-देन नहीं कर पातीं। गांवों में अनियमित बिजली और बिजली कटने की परेशानी भी है। इसलिए गोन चौधुरी ने सौर ऊर्जा से चलने वाला एक एटीएम बनाया है। उन्होंने इसे जनता एटीएम नाम दिया है। पिन याद न रहने के झंझट को खत्म करते हुए उन्होंने इसमें बायोमेट्रिक्स तकनीक का उपयोग किया है। डिवाइस पर बना टचपैड फिंगर प्रिंट की पहचान कर काम करता है। इसके बाद नाम और चित्र दिखाई देता है। इससे जुड़ा एक हेडसेट आपके अपडेटेड बैंक अकाउंट स्टेटमेंट को भी पढ़ता है।
माइक्रो सोलर पंप-
स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों में कई शौचालयों का निर्माण किया गया है लेकिन एक समस्या यह है कि ये शौचालय खऱाब हो गए हैं क्योंकि नलों में फ्लश करने के लिए पानी नहीं है। गॉन चौधुरी ने एक छोटा माइक्रो सोलर पंप विकसित किया है जो शौचालय के ऊपर एक छोटे से टैंक से निकटतम टंकी से पानी को शौचालय तक पहुंचाएगा जिससे आसानी से फ्लश किया जा सकेगा। उन्होंने त्रिपुरा में लड़कियों के लिए 100 से अधिक स्कूलों में यह पंप लगाया है। इससे वहां 30 हजार छात्र-छात्राएं लाभान्वित हो रहे हैं।
सोलर पॉवर स्टोरेज
अभी वह सोलर पॉवर स्टोरेज उपकरण बना रहे हैं। नवंबर 2018 में उन्होंने इसके प्रोटोटाइप का प्रदर्शन भी किया था जो 24 घंटे तक सौर ऊर्जा का भंडारण कर सकता है। चौधुरी का दावा है कि इस उपकरण से सौर ऊर्जा को 24 घंटे तक संग्रहीत किया जा सकता है और इसकी लागत सौर बैटरी के मुकाबले 1/5 है। जहां सौर ऊर्जा का भंडारण करने वाली बैटरियों की औसत सीमा छह साल है, इस मशीन से सौर ऊर्जा को 40 से अधिक वर्षों तक पानी में सहेज कर रखा जा सकता है।
भारत को साल 2030 तक 7 लाख मेगावाट बिजली की आवश्यकता होगी। वर्तमान में हम लगभग 3 लाख मेगावाट बिजली का ही उत्पादन कर पा रहे हैं। सौर ऊर्जा से ही इस अंतर को पाटा जा सकता है। चौधुरी कहते हैं कि इसमें 10 लाख मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन की क्षमता है और निस्संदेह यह हमारा सबसे अच्छा विकल्प है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो