
जयपुर। मेट्रो सिटीज में तारे और ग्रहों की चमक धीरे-धीरे ओझल होती जा रही है। राजधानी समेत बड़े शहरों में बढ़ते प्रकाश और वायु प्रदूषण के कारण आकाश में तारे देख पाना अब चुनौती बनता जा रहा है। जबकि गांवों में लोग खुले आसमान में आसानी से जगमगाते तारे देख रहे हैं। महानगरों में स्टारगेजिंग अब अतीत की बातें होती जा रही हैं। घनी आबादी, ऊंची इमारतें, बढ़ता वाहन दबाव और चकाचौंध करने वाली रोड लाइटें मिलकर आकाश के तारे और ग्रहों को छिपा रही हैं।
क्यों हो रहे हैं तारे ओझल?
रोड लाइटों का प्रभाव: रात में घरों और सड़कों की रोशनी से उत्पन्न प्रकाश वायुमंडल में बिखर जाता है, जिससे तारे धुंधले नजर आते हैं।
वायु प्रदूषण: फैक्ट्रियों और वाहनों से निकलने वाला धुआं और धूल के कण आसमान को ढक लेते हैं, जिससे तारे देखने में कठिनाई होती है।
राजधानी जयपुर में ढाई लाख रोड लाइटें हैं
-1.40 लाख ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में
-1.10 लाख हैरिटेज नगर निगम क्षेत्र में
अंधेरी जगहों की खोज
तारे दिखाने लोगों को शहर से दूर ले जा रहे
आकाश के तारे और ग्रह देखने की चाहत अब लोगों को अंधेरी जगहों पर खींच रही है। खगोल शास्त्री और खगोल वैज्ञानिक भी लोगों को शहर से दूर, खुले आसमान के नीचे ले जाने के लिए एस्ट्रो कैंप आयोजित कर रहे हैं।
शहरी क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण के कारण रात का आकाश और भी धुंधला हो जाता है। कणिका तत्व और अन्य प्रदूषक प्रकाश को बिखेर देते हैं, जिससे तारे देखने की संभावना और कम हो जाती है।
- राहुल शर्मा, खगोल शास्त्री
Published on:
18 Oct 2024 12:21 pm
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