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जीरे के दामों में तूफानी तेजी, हर दिन बन रहा है नया रिकॉर्ड

इस साल सर्दी देर से शुरू होने के कारण जीरे के उत्पादन में बड़ी गिरावट देखी जा रही है। जीरे की खेती के लिए ओस बहुत जरूरी होती है, लेकिन दिसंबर में गर्मी रहने के कारण ओस नहीं गिर पाई, जिसका पैदावार पर असर पड़ा है।

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जीरे के दामों में तूफानी तेजी, हर दिन बन रहा है नया रिकॉर्ड

जीरे के दामों में तूफानी तेजी, हर दिन बन रहा है नया रिकॉर्ड

इस साल सर्दी देर से शुरू होने के कारण जीरे के उत्पादन में बड़ी गिरावट देखी जा रही है। जीरे की खेती के लिए ओस बहुत जरूरी होती है, लेकिन दिसंबर में गर्मी रहने के कारण ओस नहीं गिर पाई, जिसका पैदावार पर असर पड़ा है। स्थानीय मंडियों में भी जीरे के दाम 350 से 380 रुपए प्रति किलो बोले जा रहे है, जोकि अभी तक के सर्वकालिक दाम है। जीरे की खेती पूरे देश में राजस्थान और गुजरात में होती है। इसकी सबसे बड़ी मंडी ऊंझा है। यहीं से देश-विदेश में जीरे का निर्यात भी किया जाता है। जीरे काे बिजाई नवंबर में होती है और फरवरी में फसल तैयार होती है। मसाला कारोबारी रामअवतार अग्रवाल का कहना है कि जीरे के उत्पादन में साल दर साल गिरावट का सिलसिला जारी है। देश में साल 2021 में जीरे का उत्पादन 80 लाख बोरी था, जोकि साल 2022 में घटकर 55 लाख बोरी रह गया। दिसंबर महीना गर्म रहने से इस साल उत्पादन घटकर 50 लाख बोरी होने का अनुमान है। इसलिए फिलहाल जीरे के दामों में राहत के आसार नजर नहीं आ रहे है। देश में कुल उत्पादन होने वाले जीरे में राजस्थान की हिस्सेदारी 60 से 65 फीसदी तक की है।

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विदेशों में भी होता है निर्यात


भारत से बड़े पैमाने में जीरे का निर्यात चीन, इंडोनेशिया, अमेरिका जैसे देशों में होता है। जीरे की बढ़ी कीमतों की वजह से कोई भी क्रेडिट में जीरा विदेश नहीं भेज रहा है। अगर जीरे का निर्यात हो रहा होता तो आज इसके भाव 400 रुपए पार कर चुके होते।