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Child Marriage : राजस्थान में बाल विवाह पर कड़ा पहरा, प्रशासन ने जारी किए 10 सख्त निर्देश

Child Marriage Prevention : सरकार का मानना है कि जब तक समाज में इस कुप्रथा के खिलाफ जागरूकता नहीं बढ़ेगी, तब तक इसे पूरी तरह से समाप्त करना कठिन होगा। इसलिए, कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ सामाजिक पहल भी की जा रही हैं।

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जयपुर

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Rajesh Dixit

Feb 28, 2025

Child marriage

जयपुर। राजस्थान सरकार ने अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा जैसे अवसरों पर बाल विवाह की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सभी जिला कलक्टर, एसपी और पुलिस उपायुक्तों को सतर्क रहने और सरकारी मशीनरी को सक्रिय रखने के निर्देश जारी किए हैं। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) आनन्द कुमार ने कहा कि समाज में जागरूकता फैलाकर और कठोर निगरानी रखकर बाल विवाह पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती है।

समाज में सोच बदलना जरूरी

बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए समाज की मानसिकता में बदलाव लाना आवश्यक है। इसके लिए सरकारी स्तर पर कई उपाय अपनाए जा रहे हैं। जिला व ब्लॉक स्तर पर महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, महिला सुरक्षा सखी और सामाजिक संस्थाओं को सक्रिय किया जाएगा। विवाह से जुड़े व्यवसायों जैसे हलवाई, बैंड, पंडित, टेंट हाउस और ट्रांसपोर्टर को भी कानून की जानकारी दी जाएगी और उनसे आश्वासन लिया जाएगा कि वे बाल विवाह में सहयोग नहीं करेंगे।

बाल विवाह रोकने के 10 प्रमुख निर्देश

1-सामूहिक जनजागरण अभियान: ग्राम पंचायतों, तहसीलों और जिला स्तर पर बाल विवाह के दुष्प्रभावों को लेकर विशेष अभियान चलाए जाएंगे।

2-सख्त कानूनी कार्रवाई: बाल विवाह की सूचना मिलने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत त्वरित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

3-नियंत्रण कक्ष की स्थापना: अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा पर जिलों और उपखंडों में सक्रिय नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे।

4-सहायता केंद्र और हेल्पलाइन: किसी भी संदिग्ध मामले की तुरंत रिपोर्ट करने के लिए 181 कॉल सेंटर और पुलिस हेल्पलाइन नंबर 100 को प्रचारित किया जाएगा।

5-विद्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम: सभी स्कूलों में बाल विवाह के दुष्परिणामों और कानूनी प्रावधानों पर जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

6-विवाह निमंत्रण पत्रों पर आयु प्रमाण: शादी के निमंत्रण पत्रों में वर-वधु की जन्मतिथि का उल्लेख अनिवार्य किया जाएगा।

7-स्थानीय प्रशासन की निगरानी: ग्राम पंचायतों, नगर निकायों और जिला परिषदों को बाल विवाह रोकने के लिए विशेष जिम्मेदारी दी जाएगी।

8-महिला एवं बाल विकास विभाग की भागीदारी: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला सुरक्षा सखी और स्वयं सहायता समूहों को बाल विवाह रोकने में सक्रिय भूमिका निभाने को कहा गया है।

9-बाल विवाह रोकने वाले अधिकारियों की जवाबदेही: बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (उपखंड मजिस्ट्रेट) को उनके क्षेत्रों में होने वाले बाल विवाह की रोकथाम सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।

10-कानूनी कार्रवाई में कोताही बरतने पर दंड: यदि किसी क्षेत्र में बाल विवाह होता है तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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सख्ती और जनजागरूकता से बनेगा बदलाव

सरकार का मानना है कि जब तक समाज में इस कुप्रथा के खिलाफ जागरूकता नहीं बढ़ेगी, तब तक इसे पूरी तरह से समाप्त करना कठिन होगा। इसलिए, कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ सामाजिक पहल भी की जा रही हैं। इस दिशा में आम जनता की भागीदारी बेहद जरूरी है। यदि किसी को बाल विवाह की सूचना मिलती है, तो वे तुरंत हेल्पलाइन पर संपर्क कर सकते हैं।

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