
मुकेश शर्मा
प्रदेश में सरकार भाजपा की रही हो या फिर कांग्रेस की। पिछले दस वर्ष में दोनों ही पार्टियों के राज में रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े जाने वाले और आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों के आरोपियों को दिल खोलकर बचाया। यहां तक की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, कांस्टेबल, परिचालक, पटवारी सभी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) पर भारी पड़े।
गौर करने वाली बात है कि जब सरकारी विभागों के मुखियाओं ने रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, कांस्टेबल, परिचालक, पटवारी की अभियोजन स्वीकृति देने से इनकार कर दिया। समझदार को इशारा ही काफी है…मतलब छोटे की अभियोजन स्वीकृति दी तो बड़े अधिकारी की पोल खुली। इससे यह भी जाहिर होता है कि एसीबी के लिए रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने वाले बड़े अधिकारी की अभियोजन स्वीकृति मिलना कितना मुश्किल है।
प्रदेश में वर्ष 2014 से 2018 तक भाजपा की सरकार थी। इस सरकार की अवधि में 328 भ्रष्टाचारियों को बचाया गया। इसके बाद वर्ष 2019 से 2023 तक कांग्रेस की सरकार रही। कांग्रेस की सरकार के राज में भी 327 भ्रष्टाचारियों की अभियोजन स्वीकृति देने से इनकार कर उन्हें बचाया गया। अब गत एक वर्ष में 68 अधिकारी-कर्मचारियों की अभियोजन स्वीकृति देने से मना कर दिया गया। इससे कोर्ट में भ्रष्टाचारी के खिलाफ मुकदमा नहीं चल सकेगा और वह बच जाएगा।
कार्मिक विभाग हो या फिर स्वायत्त शासन व राजस्व विभाग में सबसे अधिक मौज है। कार्मिक विभाग ने वर्ष 2014 से 2018 तक 72 और वर्ष 2019 से 2023 तक 41 भ्रष्टाचारियों की अभियोजन स्वीकृति नहीं देकर बचाया। इसी प्रकार स्वायत्त शासन विभाग ने वर्ष 2014 से 2018 तक 68 और वर्ष 2019 से 2023 तक 76 भ्रष्टाचारियों की अभियोजन स्वीकृति देने से मना कर दिया। वर्ष 2024 में सहकारिता विभाग ने 15, स्वायत्त शासन ने 14, पंचायती राज ने 10, खनिज ने 8, श्रम और नियोजन केन्द्रीय व राजस्व ने 5-5 भ्रष्टाचारियों की अभियोजन स्वीकृति देने से मना किया। एसीबी ने इनमें से कई अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को पत्र लिखा है, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं दिया।
रिश्वत लेने व देने वालों को रंगे हाथों पकड़ना या फिर रिश्वत देने वाली की शिकायत पर भ्रष्ट अधिकारी, कर्मचारी और उनके दलाल को पकड़ती है।
किसी विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर नए कानून के तहत उस विभाग के मुखिया से जांच करने की अनुमति मिलने पर दूध का दूध और पानी का पानी करती (इसके तहत अधिकांश पद के दुरुपयोग का मामले आते हैं)
Updated on:
21 Jan 2025 08:10 am
Published on:
21 Jan 2025 08:08 am
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