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Swachhata Mission: अब रैंक नहीं, सफाई ही पहचान बनेगी…जयपुर को बनाना है देश का सबसे स्वच्छ शहर

Swachhata Mission: हम सबने ने ठाना है, जयपुर को नंबर वन बनाना है। सच में अब पूरे शहर को इसी पंच लाइन को दिल दिमाग में उतार शिद्दत से जुटने की जरूरत है। सख्ती, सेग्रीगेशन (कचरे को अलग करना) सही दिशा में काम करके ही पिंकसिटी नंबर वन बन सकती है। क्लीनसिटी की पहचान बना सकती है।

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जयपुर

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Arvind Rao

Jul 19, 2025

Swachhata Mission

Swachhata Mission (Patrika Photo)

Swachhata Mission: जयपुर: गुलाबी नगर ने स्वच्छता के सफर में मजबूत आधार बनाया है। यहां तक आने के लिए नगर निगम ने पूरी ताकत झोंक दी। घर-घर तक हूपर पहुंचाए, सड़कों से कचरा डिपो हटाए, गार्ड लगाए और समस्याओं का निस्तारण भी जल्द करने का प्रयास किया।


इतना ही नहीं आधुनिक ट्रांसफर स्टेशन बनाने से लेकर कचरे को अलग-अलग करने की प्रक्रिया भी शुरू की। अब बारी हमारी और आपकी है। शहर को टॉप में शामिल करने के लिए शहरी सरकारों के साथ-साथ हम सभी को आगे आने की जरूरत है। कमियों को समझना होगा। ये खूबियों को और निखारने का समय है। पूरे शहर को आगे आकर भागीदारी निभानी होगी।


ऐसा रहा स्वच्छता का इतिहास


-पिछले नौ वर्ष के स्वच्छ सर्वेक्षण इतिहास को देखें तो लगता है कि जयपुर में कभी गंभीरता से काम ही नहीं हुआ। वर्ष 2016 में जयपुर को 44वीं रैंक मिली। अगले वर्ष आगे बढऩे की बजाय धड़ाम से गिरे और 215वें स्थान पर पहुंच गए। वर्ष 2018 में 39वें, 2019 में 44 और 2020 में जयपुर 28वें स्थान पर रहा।


-दो नगर निगम बनने के बाद भी हालात में सुधार नहीं हुआ। वर्ष 2021 में हैरिटेज 32वें और ग्रेटर 36वें स्थान पर रहा। वर्ष 2022 में भी हैरिटेज 26 और ग्रेटर 33वें स्थान पर रहा। पिछली वर्ष दोनों निगम की रैंक 150 के पार थी।


टूलकिट को सफाई पेपर की तरह करें हल


स्वच्छ सर्वेक्षण का जो टूलकिट है, उसमें सभी के अंक निर्धारित होते हैं। ऐसे में उस टूल किट को सफाई की परीक्षा का पेपर मानते हुए हल करने की जरूरत है। इसमें निगम अपना काम करेगा और जनभागीदारी निभाते हुए लोग भी निगम का सहयोग करें। इसके लिए निगम शहरवासियों को जागरूक करे।


घर से बाजार तक ये तरीका अपनाएं


बच्चे: स्कूलों में निगम की ओर से कार्यशालाएं आयोजित करवाई जाएं, इसमें सफाई का पाठ पढ़ाया जाए।
महिलाएं: महिलाओं को जागरूक किया जाए, ताकि घर से कचरा अलग-अलग हो जाए।
व्यापारी: सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करें, अपने प्रतिष्ठानों पर कचरा पात्र रखवाएं।
थड़ी-ठेला संचालक: व्यापार करें, लेकिन सफाई का विशेष ध्यान रखें, अपनी थड़ी पर कचरा पात्र रखें।


यहां ज्यादा फोकस की जरूरत


अलग-अलग कचरा: अब तक राजधानी में अलग-अलग कचरा नहीं लिया जा रहा। इस पर निगम लोगों को जागरूक करे और सख्ती भी दिखाए।
कचरा निस्तारण: 1800 मीट्रिक टन कचरा रोज निकल रहा है। इनमें से करीब 1500 टन कचरे का ही निस्तारण हो रहा है।
डम्पिंग यार्ड: लांगडियावास, सेवापुरा और मथुरादासपुरा में कचरे के पहाड़ बन गए हैं। इनको सूरत की तरह विकसित करने के प्रयास करने होंगे।
हूपर किए जाएं व्यवस्थित: राजधानी में 700 से अधिक हूपर संचालित हो रहे हैं। सतत निगरानी न होने से बाहरी वार्डों में हूपर नियमित रूप से नहीं पहुंच रहे हैं।
नाइट स्वीपिंग: इसमें लापरवाही बरती जा रही है। रात में रोड स्वीपर सिर्फ किमी पूरे करते हैं। सफाई कम ही करते हुए नजर आते हैं। इन पर निगरानी की जरूरत है।
स्वच्छता सैनिकों को मिलें पूरे संसाधन: सफाईकर्मियों के पास संसाधनों का अभाव है। उनको निगम पूरे संसाधन उपलब्ध करवाए, ताकि वे पूरी ताकत से काम कर सकें।