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जयपुर

दागी एमपी-एमएलए: जिन पर सरकार का दारोमदार, उनका दामन भी दागदार

गम्भीर आरोप लगने पर मंत्रियों को नैतिकता के आधार पर भले ही कुर्सी छोडऩी पड़ती है लेकिन कानून में दागी विधायकों के मंत्री या मुख्यमंत्री बनने पर कोई रोक नहीं है। यही कारण है कि गम्भीर आरोप भी विभिन्न राज्यों में 80 मंत्रियों को शपथ लेने से नहीं रोक पाए।

जयपुरApr 18, 2021 / 04:02 pm

Kamlesh Sharma

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प्रतीकात्मक तस्वीर

शैलेन्द अग्रवाल/जयपुर। गम्भीर आरोप लगने पर मंत्रियों को नैतिकता के आधार पर भले ही कुर्सी छोडऩी पड़ती है लेकिन कानून में दागी विधायकों के मंत्री या मुख्यमंत्री बनने पर कोई रोक नहीं है। यही कारण है कि गम्भीर आरोप भी विभिन्न राज्यों में 80 मंत्रियों को शपथ लेने से नहीं रोक पाए।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) के अनुसार देशभर में लगभग 582 मंत्री हैं और 181 यानी 31 प्रतिशत मंत्रियों पर अपने पद की शपथ लेते समय मुकदमा था। इनमें से 101 पर आरोप गम्भीर नहीं थे। सम्भव है कि रास्ता रोकने या किसी सरकारी कार्यालय पर प्रदर्शन या किसी जन आंदोलन को लेकर मुकदमा दर्ज हुआ हो लेकिन 80 पर आरोप कुछ गम्भीर थे। इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, जमीन संबंधी धोखाधड़ी, चुनावी प्रलोभन, जालसाजी, अश्लीलता, मानहानि, भ्रष्टाचार, चोरी, डकैती और लूट जैसे आरोपों वाले मंत्री भी हैं।
कई राज्यों में आधे से अधिक मंत्रियों पर मुकदमे
अगड़े माने जाने वाले केरल, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना व आंध्रप्रदेश जैसे कई राज्यों में आधे से अधिक मंत्रियों के खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं। अन्य राज्यों में बाहुबली मंत्रियों की स्थिति इन राज्यों से बेहतर भले ही हो लेकिन अधिकांश राज्यों में ऐसे मंत्रियों को जगह मिली है। अक्सर ऐसे मंत्रियों को मंत्रिमंडल में लेने के पीछे राजनीतिक दबाव होता है। इनमें जातिगत समीकरण भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
दागियों की भरमार: मध्यप्रदेश में 5 में से 2, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में हर चौथा एमएलए दागी

जिम्मा अपराध रोकने का, बस पद बचाने पर ध्यान
मंत्रिमंडल के फैसले सामूहिक दायित्व के तहत लिए जाते हैं लेकिन कानून या नीति बनाने का प्रस्ताव सम्बन्धित विभागीय मंत्री ही आगे बढ़ाता है। कई बार ये कार्य मुख्यमंत्री की इच्छा पर भी किए जाते हैं। दागी मंत्री आम तौर पर कुछ नया करने के बजाय अधिकारियों से मिलीभगत कर काम करने और मंत्री पद बचाए रखने की कोशिश में लगे रहते हैं।
मंत्रिमंडलों में दाग की तस्वीर
प्रदेश —— दागी मंत्री

महाराष्ट्र —— 26 (कुल मंत्री 41, इनमें से 18 पर कुछ गम्भीर आरोप)
उत्तरप्रदेश —— 20 (कुल मंत्री 47)

बिहार —— 18 (कुल मंत्री 28, इनमें से 14 पर कुछ गम्भीर आरोप)
आंध्रप्रदेश —— 17 (कुल मंत्री 26, 9 मंत्रियों पर कुछ गम्भीर आरोप भी)
केरल —— 17 (कुल मंत्री 19, नई सरकार के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू)
तेलंगाना —— 11 (कुल मंत्री 18)

मध्यप्रदेश —— 9 (सत्ता बदलने के बाद 34 में से 12 दागी, अब 31 मंत्री)
पश्चिम बंगाल —— 9 (कुल मंत्री 42, नई सरकार के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू)
ओडिशा —— 8 (कुल मंत्री 21)
तमिलनाडु —— 8 (कुल मंत्री 29, नई सरकार के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू)

झारखंड —— 6 (कुल मंत्री 11)
हिमाचल प्रदेश —— 5 (कुल मंत्री 12)

राजस्थान —— 4 (पिछले साल सियासी संकट के समय 6 में से 2 बाहर, अब 21 मंत्री)
दिल्ली —— 4 (कुल मंत्री 7, पिछले मंत्रिमंडल में कोई दागी नहीं था)
उत्तराखंड —— 4 (कुल मंत्री 10)
गुजरात —— 3 (कुल मंत्री 20)

त्रिपुरा —— 3 (कुल मंत्री 9)
गोवा —— 2 (कुल मंत्री 10, धोखाधड़ी व घातक हथियार से हमले का भी आरोप)

छत्तीसगढ़ —— 2 (कुल मंत्री 12, 2008 व 2013 में कोई दागी नहीं था)
मिजोरम —— 2 (कुल मंत्री 12)
नगालैंड —— 2 (कुल मंत्री 12)
पंजाब —— 2 (कुल मंत्री 10)

सिक्किम —— 1 (कुल मंत्री 12)
(शपथ पत्रों की एडीआर पर उपलब्ध जानकारी व अन्य सरकारी वेबसाइटों के अनुसार। यह जानकारी मंत्री बनने के समय की है)
दागी उम्मीदवारः सुप्रीम कोर्ट के प्रयास, राजनीतिक दलों की उलटी चाल

चुनाव सुधार: 20 साल में सुप्रीम कोर्ट के प्रयास
– शपथ पत्र में आपराधिक मामले की जानकारी दी जा रही है, वह सार्वजनिक भी हो रही है।
– कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं होने पर नोटा का विकल्प दिया।
– मौजूदा सांसद-विधायक के खिलाफ सजा का आदेश आने पर पद से छुट्टी, अपील पर राहत।
– पेड न्यूज पर कोर्ट ने सख्ती दिखाई।

– मौजूदा सांसद-विधायक के मामले एक साल में तय कराने के लिए विशेष कोर्ट का आदेश।
– 6 माह से अधिक समय से स्टे चल रहे मामलों में पुन: स्टे होने पर रुकेगी कार्यवाही।
– दागी को टिकट देने पर राजनीतिक दल व प्रत्याशी को देना होगा विज्ञापन।
– दागी को टिकट देने पर राजनीतिक दल को बताना होगा कि उसे क्यों चुना गया।

– मामला लंबित होने पर चुनाव पर पाबंदी के मामले में दखल से इंकार।
सजा पर 6 साल के लिए बाहर
दो साल या उससे अधिक सजा होने पर 6 साल तक चुनाव लडऩे पर पाबंदी का जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में प्रावधान है।

एक नजर
– सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल में चुनाव सुधार से जुड़े 19 मामलों में आदेश दिया।
– राजनीतिक दलों को आरटीआइ के दायरे में लाने सहित 5 मामलों पर कोर्ट में सुनवाई जारी।
इस पर ध्यान देने की जरूरत
– सुप्रीम कोर्ट प्रत्याशियों के शपथ पत्र भरवाने का आदेश दे चुका लेकिन शपथ पत्र का परीक्षण नहीं होता।
– सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद राजस्थान व छत्तीसगढ़ सहित अनेक राज्यों में एमपी-एमएलए के मुकदमों का एक साल में फैसला कराने के लिए नए न्यायालय नहीं बनाए गए। तर्क यह कि मुकदमे 65 से कम हैं।
– राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति के बावजूद दागियों को बेहतर उम्मीदवार बताकर टिकट दे रहे हैं।

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