12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सरकारी स्कूलों के निजीकरण के फैसले पर भाजपा के मंत्री और विधायक में जुबानी जंग,सरकार के फैसले पर शिक्षकों ने किया विरोध

सरकारी स्कूलों को भी पीपीपी मोड पर देने के सरकार के फैसले पर आहूजा ने कहा, "पुनर्विचार करे सरकार", यादव बोले, "बहुत सोच-समझकर किया है फैसला"

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Rajesh

Sep 07, 2017

Protest against Government decision of privatization of government schools

अस्पतालों के बाद अब सरकारी स्कूलों को भी पीपीपी मोड पर देने के सरकार के फैसले पर सवाल उठ खड़ा हुआ है। खुद भाजपा के ही विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने इस फैसले को अनुचित ठहराया है। भाजपा प्रदेश कार्यालय में बुधवार को राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल की बैठक में शामिल होने आए आहूजा ने मीडिया से बातचीत में कहा, 4 साल में किसी विभाग में अच्छा काम हुआ है तो वह एजुकेशन में सरकारी स्कूलों में हुआ है।
करीब डेढ़ लाख कर्मियों के प्रमोशन हुए हैं, जो 70 साल में भी नहीं हुए थे। स्कूलों में 30 फीसदी बच्चों का प्रवेश बढ़ा है। मेरिट में भी सरकारी स्कूल आगे आए हैं। इसके चलते निजी स्कूल खाली हो रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी इसकी प्रशंसा कर चुके हैं। ऐसे में सरकारी स्कूलों को निजी क्षेत्र में देने का कैबिनेट का निर्णय सही कदम नहीं है। सरकार और मुख्यमंत्री को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

75 ग्रामीण, 25 कस्बाई स्कूल जाएंगे निजी हाथों में

सरकारी स्कूलों को सार्वजनिक-निजी सहभागिता से संचालित करने की नीति के तहत सरकार ने निर्णय किया है कि सिर्फ कस्बाई और ग्रामीण स्कूल इस मॉडल पर चलाए जाएंगे। इनमें 75 ग्रामीण स्कूलों के साथ 25 कस्बों के विद्यालय शामिल होंगे।

शिक्षा को उद्योग मत बनाओ : शिक्षक संगठन

शिक्षक संगठन भी सरकार के निर्णय के खिलाफ विरोध में उतर आए हैं। इन संगठनों का कहना है कि सरकार ने विद्यालयों को उद्योग बनाने का रास्ता खोल दिया है। इस नीति के जरिए प्रदेश के अच्छी आधारभूत सुविधाओं वाले स्कूल निजी हाथों में चले जाएंगे।

श्रम मंत्री डॉ. जसवंत बोले सही निर्णय

भाजपा प्रदेश कार्यालय में ही मीडिया से बातचीत में श्रम मंत्री डॉ. जसवंत यादव ने कहा, "कुछ बोलने से पहले स्टडी करनी चाहिए। स्कूलों को निजी क्षेत्र में देने का निर्णय सोच-समझकर किया है। अच्छे स्कूल नहीं दिए जाएंगे, वही स्कूल दिए जाएंगे जहां संचालन में कठिनाई है। लोग स्कूल गोद लेंगे, सरकार को कुछ नहीं देना पड़ेगा।"

ये भी पढ़ें

image