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खेल मैदानों को तरसी राजधानी… अभ्यास और सुविधाओं से वंचित खिलाड़ी

  - आबादी बढ़ी, शहर फैला मगर खेल मैदान ज्यों के त्यों, एसएमएस स्टेडियम पर बढ़ा बोझ

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जयपुर

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GAURAV JAIN

Sep 20, 2023

खेल मैदानों को तरसी राजधानी... अभ्यास और सुविधाओं से वंचित खिलाड़ी

चौगान स्टेडियम


जयपुर. शहर के प्रतिभावान खिलाड़ी खेल मैदानों के लिए तरस रहे हैं। एक तरफ शहर का दायरा बढ़ता जा रहा है और दूसरी ओर खेल मैदान ज्यों के त्यों हैं। इन मैदानों में से ज्यादातर में तो सुविधाओं और संसाधनों का अभाव है। ऐसे में पूरे शहर का बोझ सवाई मान सिंह स्टेडियम पर ही है।

लगभग 50 लाख की आबादी वाले शहर में छह ही बड़े खेल मैदान हैं। साल दर साल आबादी बढ़ती गई, लेकिन खेल मैदानों पर ध्यान किसी ने नहीं दिया। रही सही कसर इन मैदानों में सियासत का खेल (चुनावी रैलियां आदि) होने से पूरा हो जाती है। कभी जन्मदिन मनाया जाता है तो कभी राजनीतिक रैली के रूप में इन मैदानों का इस्तेमाल किया जाता है।


खिलाड़ी परेशान

एसएमएस स्टेडियम: ज्यादातर खिलाड़ी इसी स्टेडियम पर निर्भर हैं। ऐसे में जगतपुरा, वैशाली से लेकर आगरा रोड और दिल्ली रोड के खिलाडिय़ों को प्रैक्टिस के लिए एसएमएस स्टेडियम आना पड़ता है। यहां हॉकी, फुटबॉल, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, ताइक्वांडो, तैराकी, तीरंदाजी से लेकर एथलेटिक्स की विश्व स्तरीय सुविधाएं मिल जाती हैं।

यहां बढ़ाएं खेल सुविधाएं

केएल सैनी स्टेडियम, मानसरोवर वर्षों पुराना है, लेकिन खेलों के नाम पर सिर्फ क्रिकेट है। यहां खेल सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो न सिर्फ एसएमएस स्टेडियम से खिलाडि़यों का बोझ कम होगा, बल्कि मानसरोवर और पृथ्वीराज नगर के खिलाडि़यों को घर के पास ही अच्छा विकल्प मिलेगा।

सिर्फ सभाओं में आ रहा काम
चुनावी साल है। राजनीतिक दलों से लेकर विभिन्न सामाजिक संगठन शक्ति प्रदर्शन कर रहे है। ऐसे में विद्याधर नगर स्टेडियम में नियमित रूप से रैलियां हो रही हैं। खेलों और अभ्यास के लिए बनाया गया स्टेडियम सियासत का केंद्र बनकर रह गया है। यही हाल चित्रकूट स्टेडियम का भी है। यहां भी साल में कई कार्यक्रम होते हैं और सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। चौगान स्टेडियम को विकसित करने के लिए चल रहा काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है।


ये हैं बड़े खेल मैदान

-एसएमएस स्टेडियम

-चौगान स्टेडियम

-विद्याधर नगर स्टेडियम

-चित्रकूट स्टेडियम

-केएल सैनी स्टेडियम

-सांगानेर स्टेडियम

खास-खास

-100 से अधिक निजी अकेडमी हैं शहर भर में

-3000 रुपए प्रति माह तक का लिया जाता है किराया

-10 से अधिक क्रिकेट मैदान भी विकसित किए हैं निजी स्तर पर

टॉपिक एक्सपर्ट-

शहर को मिनी स्टेडियम की जरूरत

शहर को एक मिनी स्टेडियम की जरूरत है। सरकार को इस पर काम करना चाहिए। इससे बच्चों को अपने घर के आस-पास खेल मैदान मिल जाएगा और वे मोबाइल से भी दूर होंगे। शरीर फिट रहेगा तो बीमार कम पड़ेंगे। इसके अलावा जो बड़े स्टेडियम हैं, उनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं विकसित करने पर भी सरकार को काम करना चाहिए।

-गोपाल सैनी, पूर्व ओलम्पियन


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