
ट्रांसफर स्टेशन का कचरा उठाने में फर्म ने पहले दिन से ही लापरवाही बरती, लेकिन जिम्मेदार कार्रवाई करने की बजाय बचाते रहे। नियम-शर्तों की पालना तो कभी फर्म ने की ही नहीं। हैरानी की बात यह है कि फर्म ने जहां का पता दे रखा है, वहां कोई कार्यालय ही नहीं है। दरअसल, सफाई व्यवस्था के नाम पर हमेशा से ही स्वास्थ्य शाखा, गैराज शाखा और प्रोजेक्ट शाखा में विवाद रहता है। ट्रांसफर स्टेशन से कचरा उठवाने का ठेका गैराज शाखा ने किया। जबकि, पर्यावरण इंजीनियर प्रोजेक्ट शाखा के पास हैं। लेकिन, गैराज शाखा ने अपनी चलाई और ठेका दे दिया।
शर्तों का नहीं रखा ध्यान
-रियल टाइम रिपोर्ट के साथ फोटो और वाहनों के नम्बर और कचरा ट्रांसफर स्टेशन का वेबकेम में लाइव रिकॉर्ड उपलब्ध करवाना था।
-कचरा ट्रांसफर स्टेशन में कचरा बीनने वालों को आइडी कार्ड सहित अन्य दस्तावेज निगम दफ्तर में उपलब्ध करवाने होंगे।
-कार्मिकों का बीमा होगा और श्रम नियमों की पूर्ण पालना करनी होगी।
-वाहन का डेटा सीधे सर्वर पर सेव होना चाहिए।
बिना मूल्यांकन चल रहा काम
पिछले कई वर्षों से कचरा ट्रांसफर स्टेशन से कचरा बीनने का काम नि:शुल्क हो रहा था। गैराज शाखा ने इसे सात लाख रुपए में दे दिया। सवाल यह है कि यह रकम तय कैसे हुई? गैराज शाखा ने न तो थर्ड पार्टी परीक्षण करवाया और न ही उनके पास कोई टीम है। बिना मूल्यांकन के ही काम फर्म को थमा दिया।
Published on:
02 Jun 2025 05:10 pm
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