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हनुमान चालीसा के पाठ के जरिए तो दूसरी ओर तबले पर मंदिर की घंटियां बजाकर दी प्रस्तुति

जयपुर. जवाहर कला केंद्र में चल रहे जूनियर समर कैंप में गुरुवार को बच्चों ने संगीत की 7 विधाओं को अपनी प्रस्तुति के जरिए मंच पर साकार किया। गुरुजनों के मार्गदर्शन से कोर्स के समापन समारोह के लिए बच्चो को पूर्वअभ्यास करवाकर अपनी कला को मंच पर साकार करने के लिए तैयारी करवाई गई । कैंप में लगभग 205 बच्चे म्यूजिकल ग्रुप में शामिल थे।

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जयपुर

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Mohmad Imran

Jun 15, 2023

हनुमान चालीसा के पाठ के जरिए तो दूसरी ओर तबले पर मंदिर की घंटियां बजाकर दी प्रस्तुति

हनुमान चालीसा के पाठ के जरिए तो दूसरी ओर तबले पर मंदिर की घंटियां बजाकर दी प्रस्तुति

बच्चों को भरतनाट्यम, तबला, फोक डांस, गिटार, कथक ,सुगम संगीत, सिंथेसाइजर जैसे संगीत से जुड़े 7 आर्ट फॉर्म्स की शिक्षा मिली । पत्रिका से बातचीत में इंस्ट्रक्टर्स ने बताया पहले के मुकाबले इस बार कैंप में संगीत से जुड़े आर्ट फॉर्म सिखने वाले बच्चों की संख्या बड़ी और कैंप में एक महीने के दौरान संगीत के साथ बच्चों को अनुसान, अच्छे संस्कार, जिंदगी के पाठ जैसे कई बातें सिखाई गई । कार्यक्रम के दौरान जेकेके अतिरिक्त महानिदेशक (प्रशासन) प्रियंका जोधावत, संजय झाला, गजानंद मानव मिश्रा मौजूद रहे। बच्चों ने गिटार पर फिल्मी गीतों की धुन छेड़कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने ‘तुम ही हो ’, ‘है अपना दिल तो आंवारा’ जैसे गीतों की धुन बजाई। कैंप में शेर मोहम्मद ने सिंथेसाइजर, डाॅ. अंकित पारिक ने तबले की शिक्षा,वहीं पीयूष पंवार, मीरा सक्सेना व मनस्विनी शर्मा से बच्चों ने सुगम संगीत, राजस्थानी लोकनृत्य व कथक की शिक्षा ली।

हनुमान चालीसा के पाठ के जरिए दिखाई अपनी कला
भरतनाट्यम गुरु निकिता मुद्गण मार्गदर्शन से सभी बच्चों ने समापन में मंच पर हनुमान चालीसा के पाठ पर भरतनाट्यम नृत्य के जरिए खास प्रस्तुति दी और भगवन हनुमान सबसे शक्तिशाली हैं यह संदेश दिया । नृत्य में तुलिदास के एक एक शब्द को परिभाषित किया गया है।

माता पिता ही ईश्वर यह संदेश के साथ दी अपनी प्रस्तुति
तबला गुरु डॉ अंकित पारीक के मार्गदर्शन में इस बार बच्चों ने तबले पर मंदिर की घंटियां बजाना सीखा और पिता व गुरु स्तुति के भाव तबले की ताल से मंच पर जाहिर किया यह संदेश दिया की माता पिता ही ईश्वर हैं और उसके बाद गुरु को प्रणाम किया । तबला सिखने से दिमाग तीव्र गति से काम करता है और ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है । साथ ही बच्चों ने मंच पर बच्चे शिव तांडव स्त्रोत की प्रस्तुति भी दी।

जयपुर सबसे पुराना घराना है कथक का
कथक गुरु मनस्विनी शर्मा के मार्गदर्शन से इस एक महीने में बच्चों ने कथक सिखने के साथ अच्छे संस्कार और अनुशासन भी सीखे । इस बार कथक की पारंपरिक प्रस्तुति की समझ बच्चों में डालने की कोशिश की है और वास्तविक कथक जो चला आ रहा है उसी क्रम में बच्चों ने मंच पर अपनी प्रस्तुति दी। इसके अलावा दीप जले आना’, ‘क्या हुआ तेरा वादा’ गीत गाकर सुनाए। ‘हम होंगे कामयाब’ की सामूहिक गायन प्रस्तुति देकर बच्चों ने अपने मजबूत इरादे जाहिर किए।