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कोटा में बढ़ते आत्महत्या के मामलों से सहमा राजस्थान: टीकाराम जूली ने जताई चिंता, 17 दिन में 6 छात्रों ने किया सुसाइड

Kota Suicide Case: देश के कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी चिंता जताई है।

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Tikaram Jully

Kota Suicide Case: देश के कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बीते बुधवार को भी दो छात्रों ने आत्महत्या कर ली, जिससे इस साल के शुरुआती 22 दिनों में आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या 6 तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री और प्रशासन के लिए गंभीर सवाल खड़े करता है। वहीं, छात्रों के आत्महत्या के बढ़ते मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी चिंता जताते हुए सीएम भजनलाल से इस ओर ध्यान देने की गुहार लगाई है।

बता दें, बुधवार को पहला मामला कोटा के जवाहर नगर थाना क्षेत्र का है, जहां असम के नागांव जिले के निवासी पराग ने आत्महत्या कर ली। इससे पहले, गुजरात के अहमदाबाद की छात्रा अफ्शा शेख ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।

नेता प्रतिपक्ष जूली ने जताई चिंता

राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को इस विषय पर गंभीरता से ध्यान देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल जी मैं आपका ध्यान युवाओं से जुड़े एक बेहद महत्वपूर्ण विषय की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। प्रदेश में गत दिनों में कोचिंग छात्रों द्वारा आत्महत्या करने के मामले हृदयविदारक हैं। ये मामले सबसे अधिक कोटा जिले से सामने आ रहे हैं जो कोचिंग हब भी है। दिनांक 22 जनवरी को ही दो विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या कर ली गई।

टीकाराम जूली ने कहा कि यह आपकी जानकारी में होगा कि राजस्थान में विगत कुछ वर्षों में आत्महत्या के मामलों में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। अगर इस गंभीर समस्या का समय रहते समाधान नहीं किया गया तो यह विकराल रूप ले सकती है। यदि आंकड़ों की तरफ ध्यान दें तो पिछले 22 दिन में ही 5 बच्चों ने आत्महत्या की है। पिछले एक साल में 20 से अधिक विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है।

यह चिंताजनक एवं स्तब्ध कर देने वाला

बढ़ती आत्महत्याओं पर चिंता जताते हुए कहा कि यह अत्यन्त चिंताजनक एवं स्तब्ध कर देने वाला है कि अब एक ही दिन में कई विद्यार्थियों के आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं जो इसकी भयावहता को बताते हैं। इन युवा विद्यार्थियों के परिजनों पर क्या बीतती होगी वो हम सब समझ सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जब इन आत्महत्या के मामलों की जांच की जाती है तो इसमें विद्यार्थियों पर बढ़ता अच्छे प्रदर्शन का दबाव एक कारण है। परन्तु यह सोच का विषय है कि शिक्षा प्रणाली में ऐसी क्या खामियां हैं जो किसी विद्यार्थी का जीवन बनाने के स्थान पर उसे जीवन समाप्त करने के लिए मजबूर कर रही हैं।

जूली ने कहा कि मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर आप राज्य सरकार को गंभीरतापूर्वक कदम उठाने के लिए निर्देशित करें। अगर इस संवेदनशील विषय पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर गंभीर चिंतन कर युवाओं के हित में उपाय किया जाए तो श्रेयस्कर होगा।

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इस साल अब तक आत्महत्या के मामले

पहला मामला- 8 जनवरी, हरियाणा के महेंद्रगढ़ निवासी छात्र नीरज
दूसरा मामला- 9 जनवरी, मध्य प्रदेश के गुना जिले का निवासी अभिषेक लोधा
तीसरा मामला- 15 जनवरी, ओड़िशा का अभिजीत गिरी
चौथा मामला - 18 जनवरी, राजस्थान के बूंदी जिले का निवासी मनन जैन
पांचवा मामला- 22 जनवरी, गुजरात की अहमदाबाद निवासी छात्रा अफ्शा शेख
छठा मामला- 22 जनवरी, असम के नागांव निवासी छात्र पराग

दरअसल, कोटा में छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामले गंभीर समस्या बन गए हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन, कोचिंग संस्थानों और राज्य सरकार को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे।

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