scriptJaipur Literature Festival 2023 : कविता के नए स्वरुप को पेश करने का बीड़ा उठाया | Took the initiative to introduce new form of poetry | Patrika News

Jaipur Literature Festival 2023 : कविता के नए स्वरुप को पेश करने का बीड़ा उठाया

locationजयपुरPublished: Jan 23, 2023 11:14:15 am

अक्षय मुकुल ने साहित्यकार अज्ञेय साहित्य पर गहन शोध की है और उनकी कई किताबों का अंग्रेजी में अनुवाद किया है।

Jaipur Literature Festival 2023 : कविता के नए स्वरुप को पेश करने का बीड़ा उठाया

Jaipur Literature Festival 2023 : कविता के नए स्वरुप को पेश करने का बीड़ा उठाया

Jaipur Literature Festival 2023 : अक्षय मुकुल ने साहित्यकार अज्ञेय साहित्य पर गहन शोध की है और उनकी कई किताबों का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। विनीत गिल ने साहित्यकार निर्मल वर्मा पर गहन कार्य किया है। सत्र की शुरुआत में प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका विद्या शाह ने अज्ञेय की कविता, ‘चले चलो ऊधो’ को अपनी सम्मोहक आवाज में प्रस्तुत किया। अज्ञेय के बारे में बात करते हुए अक्षय मुकुल ने कहा, अज्ञेय में बेचैनी थी… उन्होंने प्रेमचंद से लेकर सभी महान साहित्यकारों को पढ़ा और सराहा था, लेकिन उन्हें कुछ और कहना था। उनकी ये बेचैनी उनके उपन्यास ‘शेखर एक जीवनी’ में व्यक्त होती है। तार-सप्तक के माध्यम से अज्ञेय ने कविता के नए स्वरुप को पेश करने का बीड़ा उठाया। निर्मल वर्मा के लेखन के बारे में बात करते हुए विनीत गिल ने कहा, वर्मा ‘आधुनिकीकरण’ से प्रभावित थे। अपने समकालीन साहित्यकार अज्ञेय से वे सहमत नहीं थे। वो ‘नई कहानी’ के प्रति आकर्षित थे। अज्ञेय और निर्मल वर्मा के साहित्य में सबसे बड़ा फर्क था कि अज्ञेय का फोकस जहां ‘आदर्शवादी यथार्थ’ पर था, वहीं वर्मा ‘आंतरिक यथार्थवाद’ के पक्षधर थे।
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राजनीति से मोहभंग

लेखक अक्षय मुकुल ने कहा कि अज्ञेय किताब भारत की 20वीं सदी की कहानी को एक महाकाव्य के माध्यम से बताती है, जो अक्सर सीधे रास्ते से हट जाती है और एक ऐसी व्यक्तिगत राजनीति पर आकर्षित होती है, जिसपर बाएं और दाएं दोनों तरफ से लगातार हमला किए जाते है। किताब के पात्र अज्ञेय 1942 में फासीवाद विरोधी भावना के प्रदर्शन में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हो गए। अपने पूरे जीवन में नेहरू के प्रशंसक होने के बावजूद उन्हें कांग्रेस की राजनीति से मोहभंग हो गया। लेकिन, अज्ञेय 1970 के दशक में एवरीमैन्स वीकली के संपादक के रूप में सेवा करते हुए जयप्रकाश नारायण के करीब आ गए। उन्होंने हिंदू आध्यात्मिकता और मिथक के साथ-साथ भारतीयों द्वारा अंग्रेजी लेखन को खारिज करने के लिए प्रेरित किया। उपन्यास वे दिन, प्राग में उनके छात्र जीवन की शुरुआत को दर्शाता है। अज्ञेय ने हमेशा लेखन के नए रूपों के साथ प्रयोग करते हुए जापान और बाद में यूरोप और अमेरिका की यात्रा की। नई कहानी वर्मा की देन है और नई कविता अज्ञेय की विरासत है। इन दिग्गजों ने हिंदी साहित्य की दिशा बदल दी।
https://youtu.be/zvbmXjl7i88
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