
जयपुर. न्याय के लिए कोई भी व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से पहले वकील का दरवाजा खटखटाता है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने कानून बदलकर दंड विधान को न्याय विधान में बदल दिया। सरकार ने इस हवन के जरिए विकसित राष्ट्र बनाने का प्रयास किया, इसमें हम भी आहुति दें। इसके लिए जरूरी है न्याय जल्द व सबको सुलभ हो और वकील अपने इलाके को मुकदमा फ्री बनाएं।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने रविवार को यहां राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव व न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की मौजूदगी में दी बार एसोसिएशन जयपुर के कैफे एड ई- लाईब्रेरी और लॉयर्स डायरी 2025 का लोकार्पण किया।
राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (आरआईसी) सभागार में आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत में चीन और अमरीका से ज्यादा डिजिटल लेन-देन होता है, जो अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी से भी चार गुना है। यह तकनीक का एक रास्ता है, यह लक्जरी नहीं है। कभी एआई, मशीन लर्निंग व ब्लॉकचैन अंग्रेजी के शब्द थे, लेकिन अब बहुत मददगार है और इनसे देश में क्रांति आई। इनका उपयोग करके समय बचाएं और गुणवत्ता भी बढ़ाएं।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने दी बार एसोसिएशन जयपुर के सदस्य वकीलों को संसद भवन देखने आने का निमंत्रण देते हुए कहा कि 50-50 की संख्या में मेरे मेहमान बनकर आएं और देखें।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि नए कानून अधिवक्ताओं के लिए बूम है। तकनीक के साथ इनका उपयोग करें। सरकार ने इन कानूनों के बारे में गहराई से जांच करने के लिए जो समय लगाया, उसका मैं एक वकील होकर भी अंदाजा नहीं लगा सकता। वकील तकनीक का सहारा लेकर लोगों को इनका लाभ दिलाएं।
धनखड़ ने जिला न्यायालयों को न्याय के लिए नींव बताते हुए कहा कि इनको अधीनस्थ न्यायालय नहीं कहा जाना चाहिए, क्योंकि अधीनस्थ कोई नहीं होता। इसको समाप्त करने के लिए मैं प्रयासरत हूं। मजिस्ट्रेट फैसला करता है, पर उसे लगा रहता है कि उसके फैसले पर क्या टिप्पणी होगी?
धनखड़ ने कहा कि किसी भी देश या सभ्यता का आकलन न्याय व्यवस्था से होता है। हमारी न्याय व्यवस्था मजबूत है, परन्तु न्याय तक पहुंचने की सबकी सामर्थ्य हो और वह सबकी पहुंच में हो। बार और बैंच शब्द दो हैं. पर आत्मा इनकी एक है। इनमें मतभेद तो रहेंगे, पर दूरी नहीं रहनी चाहिए।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव ने अधिवक्ताओं को न्याय व्यवस्था की धुरी बताते हुए कहा कि न्याय रथ के दोनों पहिए बराबर हैं. इसी से न्याय व्यवस्था चल रही है। आज अधिवक्ताओं को तकनीक का उपयोग बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि जयपुर के जिला न्यायालय परिसर में जल्द ही एस्केलेटर (चलती सीढ़ी) शुरू होने वाला है. चिकित्सा व्यवस्था में सुधार के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
Updated on:
28 Oct 2024 11:39 am
Published on:
28 Oct 2024 11:03 am
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