6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

JAIPUR CTIY—जलदाय विभाग-जयपुर शहर में पानी के बिल के 110 करोड़ रुपए डूबत खाते में,,,विभाग ने उठाया अब ये कदम

शहर में पानी के बिलों की बकाया राशि की वसूली को लेकर चुप्पीअब अपनी बला टालने के लिए भेजी एमनेस्टी स्कीम के लिए पत्रावली जल भवन में सुविधाओं वाला और सर्कल में शहर में पोस्टिंग का जरिया बना अधिशासी अभियंता एनआरडब्ल्यू का पद

2 min read
Google source verification
water supply  : शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जलापूर्ति बाधित रहेगी

water supply : शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जलापूर्ति बाधित रहेगी


जयपुर।

जलदाय विभाग करोडों रुपए खर्च कर बीसलपुर सिस्टम के जरिए जयपुर शहर में पानी की सप्लाई कर रहा है। लोग इस महंगे पानी को गटक भी रहें हैं। उधर जलदाय विभाग के इंजीनियर जल उपभोग के बदले विभाग को मिलने वाले राजस्व को लेकर पूरे दरियादिल नजर आ रहे हैं। जलदाय इंजीनियरों की बातों में सामने आया है कि इंजीनियरों की दरियादिली का ही नतीजा है कि शहर के उत्तर और दक्षिण सर्कल में पानी के बिलों की बकाया 110 करोड़ से ज्यादा की राशि डूबत खाते में है। इस राशि को वसूलने में इंजीनियरों ने वित्ती वर्ष की आखिरी तिमाही तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और अब अपनी नाकामी छुपाने के लिए एमनेस्टी स्कीम शुरू करने की पत्रावली सरकार को भेजी है।
सुविधाओं का एनआरडब्ल्यू का पद

मुख्य अभियंता (शहरी) आरके लुहाड़िया मुख्य अभियंता एनआरडब्ल्यू भी हैं। लुहाडिया इस अतिरिक्त पद की जिम्मेदारी के लिए सरकार से निश्चित राशि और सुविधाएं भी ले रहे हैं। लेकिन विभाग की जल सेवाओं के बदले राजस्व कैसे बढे इसे लेकर वे चुप्पी साधे बैठे हैं। जबकि मुख्य अभियंता( एनआरडब्ल्यू) को समय समय पर यह देखना जरूरी है कि पानी के बकाया बिलों की 110 करोड़ रुपए की राशि की वसूली के लिए क्या प्रयास किए जाने चाहिएं और फील्ड इंजीनियर वसूली कर रहे हैं या नहीं।
जयपुर में टिके रहने का जुगाड़ भी

अतिरिक्त मुख्य अभियंता कार्यालय में अधिशासी अभियंता एनआरडब्ल्यू का पद भी है। इसकी भी वही जिम्मेदारी है जो मुख्य अभियंता एनआरडब्ल्यू की जिम्मेदारी है। लेकिन इस पद को जलदाय इंजीनियरों ने जयपुर शहर में पोस्टिंग लेने का जरिया बना लिया। प्रदेश के सभी सर्कल अधीक्षण अभियंता कार्यालय में यह पद शहर में टिके रहने का जुगाड़ बन गया है।
नाकामी छुपाने के लिए एमनेस्टी स्कीम की मांगी मंजूरी

शहर में वसूली को लेकर चुप्पी
मौजूदा वित्तीय वर्ष 31 मार्च को खत्म हो रहा है। लेकिन शहर में एक दो सब डिवीजन को छोड़ दें तो अन्य सब डिवीजन में पानी के बिलों की बकाया राशि वसूलने में फील्ड इंजीनियरों की कोई दिलचस्पी नहीं दिख रही है। अब 21 दिन में पहाड़ जैसी वसूली कैसे होगी इसे लेकर इंजीनियर चुप्पी साधे बैठै हैं।