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बच्चे को मजदूरी के लिए भेजने वाले एक पिता को क्या सीख दे रही है चिड़िया ?, देखिए कार्टूनिस्ट लोकेन्द्र की नजर से

बच्चे को मजदूरी के लिए भेजने वाले एक पिता को क्या सीख दे रही है चिड़िया ?, देखिए कार्टूनिस्ट लोकेन्द्र की नजर से

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बच्चे को मजदूरी के लिए भेजने वाले एक पिता को क्या सीख दे रही है चिड़िया ?, देखिए कार्टूनिस्ट लोकेन्द्र की नजर से

बच्चे को मजदूरी के लिए भेजने वाले एक पिता को क्या सीख दे रही है चिड़िया ?, देखिए कार्टूनिस्ट लोकेन्द्र की नजर से

बाल श्रम रोकथाम के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदेश में बाल श्रम हो रहा है। बच्चे, चूड़ी बनाने के कारखानों, आरी तारी और ईंट भट्टो आदि जगहों पर काम कर रहे हैं। बच्चों का न केवल बचपन छिन रहा है बल्कि प्रतिकूल जगहों पर काम करने और कई घण्टे बिना कुछ खाए—पीए, उचित सुविधाओ के अभाव के चलते बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो रहा है। कोविड महामारी के कारण गांव और शहर में रोजगार घटा है, चौराहों पर भीख मांगने वाले बच्चे पहले से ज्यादा नजर आते है, श्रम विभाग इस पर कार्यवाही इसलिए नहीं करता। सेव द चिल्ड्रन द्वारा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर आयोजित वेबिनार में राजस्थान, मध्य प्रदेश एवम महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के स्वयं सेवी संगठनों के प्रतिनिधियों, सरकारी विभागों के अधिकारियों औऱ बाल प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए राजस्थान के श्रम सचिव डॉ.नीरज के पवन ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि बाल श्रम की रोकथाम किसी एक विभाग के प्रयासों से संभव नहीं है। इसके लिए हम सभी को सतत और मिले-जुले प्रयास करने होंगे। कोविड के कारण परिवारों को स्वास्थ्य और आर्थिक संकटों का मुकाबला करना होगा और इस कारण बाल श्रम, बाल तस्करी की घटनाओं की संभावना में बढ़ोतरी होगी। हमें बाल श्रम उन्मूलन को एक दिन या कुछ हफ़्तों के अभियान के रूप में नहीं देखना चाहिए। सरकार कड़े कदम उठा रहीं है कि किसी भी स्थिति में 14 वर्ष तक का बच्चा, किसी भी नियोजन में ना रहे, वो स्कूल जाए और किसी नियोक्ता के पास मिले तो उस नियोक्ता पर कड़ी कार्यवाही हो।