
Wildlife week from today -स्टार कछुओं का सेफ हेवन बना जयपुर जू
जू में है 40 से अधिक स्टार कछुए
सरंक्षित वन्यजीवों में शामिल है स्टार कछुए
जयपुर जू में लगातार बढ़ रही है इनका आबादी
झालाना में भी छोड़े गए हैं 40 कछुए
जयपुर।
तकरीबन तीन साल पहले शुरू की गई जयपुर जू प्रशासन की मेहनत अब रंग ला रही है। जयपुर जू अब स्टार कछुओं का घर बन चुका है। इनमें केवल वही कछुए शामिल नहीं हैं जिन्हें वन विभाग की टीम ने शिकारियों से रेस्क्यू किया है बल्कि वह कछुए भी शामिल हैं जिन्हें लोग बिना किसी को बताए चुपचाप यहां छोड़ जाते हैं। यहां इनकी तादाद में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वर्तमान में यहां 40 कछुए हैं तो इतने ही कछुओं को पिछले दिनों झालाना में छोड़ा गया था। जू प्रशासन की माने तो कछुए इतने अधिक हो गए थे उनके रहने के लिए जगह कम पडऩे लगी थी।
नए केज में रखा गया
जगह कम पड़ती देखकर जयपुर जू प्रशासन ने इन्हें बड़ी केज में शिफ्ट किया है जिससे यह आसानी से मूवमेंट कर सकें। साथ ही पर्यटकों का भी इनके प्रति आकर्षण बढ़े। गौरतलब है कि वन विभाग ने अब किसी भी प्रकार के वन्यजीवों को घर में रखने से पहले उसका रजिस्ट्रेशन करवाया जाना अनिवार्य किया है। तब से इन्हें यहां छोड़े जाने की तादाद भी बढ़ी है।
विभाग की टीम करती है रेस्क्यू
जयपुर जू के वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अशोक तंवर बताते हैं कि यहां पल रहे कई कछुओं को लोगों के घरों से रेस्क्यू किया गया है। सूचना मिलने पर जू की टीम घर जाकर इन्हें रेस्क्यू करती है और ऐसे लोगों पर कार्यवाही की जाती है। साथ ही कई कछुए वन्यजीवों का शिकार और तस्करी करने वाले लोगों से भी मिले हैं।
बिना बताए भी छोड़ जाते हैं कछुए
जैसे जैसे आमजन में इस बात को लेकर जागरुकता बढ़ी है कि सरंक्षित प्रजाति के किसी भी वन्यजीव को पालना अपराध की श्रेणी में आता है तो लोग इन्हें यहां छोडऩे के लिए आने लगे हैं लेकिन वह इसकी जानकारी नहीं देते बल्कि चुपचाप बिना किसी को बताए छोड़ जाते हैं वजह स्पष्ट है स्टार कछुए को घर में पालने पर रोक है और जो इसे पालते हैं उनके खिलाफ वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कार्यवाही होती है। ऐसे में कई लोगों ने इन्हें किसी की जानकारी में लाए बिना छोड़ जाने बेहतर विकल्प बनाया है।
घर में रखना है गैरकानूनी
गौरतलब है कि स्टार कछुए को घर में रखना या पालना गैरकानूनी है। स्टार कछुए संरक्षित प्रजाति के तहत आते हैं। इन्हें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की लुप्तप्राय प्रजातियों की लाल सूची में अतिसंवेदनशील के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह प्रजाति वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची चार में भी सूचीबद्ध है और भारत के भीतर या उससे बाहर इस प्रजाति का स्वामित्व और व्यावसायिक रूप से व्यापार करना अवैध है। इसे घर में रखने पर 7 साल की कैद का प्रावधान है। भारतीय स्टार कछुए 10 इंच तक बढ़ सकते हैं। विदेशों में पालतू जानवर के रूप में उपयोग के लिए बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिए इन प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। इन कछुओं को पश्चिम बंगाल ले जाकर वहां से अवैध तरीके से बांग्लादेश पहुंचाया जाता है। इसके बाद ये कछुए चीन, हांगकांग, मलेशिया, थाईलैंड आदि देशों में सप्लाई किए जाते हैं। इन देशों में कछुए का मांस, सूप और चिप्स काफी पसंद किया जाता है। साथ ही इसके साथ ही इसके कवच से यौनवर्धक दवाएं और ड्रग्स बनाई जाती है।
Published on:
01 Oct 2021 12:16 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
