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जैसलमेर के सोनार दुर्ग पर मंडरा रहा एक नया खतरा, जानिए पूरा मामला…

जैसलमेर दुर्ग की दीवारों के बीचों-बीच पेड़ों की जड़ें पत्थरों की दरारों में फैलकर न केवल दीवारों को क्षतिग्रस्त कर रही हैं, बल्कि भविष्य में संरचना के गिरने की आशंका भी बढ़ा रही हैं।

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विश्व प्रसिद्ध जैसलमेर दुर्ग की प्राचीरों को इन दिनों एक नए प्रकार के संकट का सामना करना पड़ रहा है। दुर्ग की प्राचीन दीवारों के बीचों-बीच उग आए पीपल के पेड़ अब संरचना के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। इन पेड़ों की जड़ें पत्थरों की दरारों में फैलकर न केवल दीवारों को क्षतिग्रस्त कर रही हैं, बल्कि भविष्य में संरचना के गिरने की आशंका भी बढ़ा रही हैं। पीपल की जड़ें जमीन के अंदर बढ़ती हैं और यह इतनी शक्तिशाली होती हैं कि कई बार आधार भूमि को ही विभक्त कर देती हैं। पूर्व में भी इस दुर्ग को पीपल की जड़ों से नुकसान होने की घटनाएं सामने आई थी। पुरा सम्पदा विशेषज्ञों और स्थानीय नागरिकों ने चिंता जताई है कि यदि समय रहते इन पेड़ों को हटाया नहीं गया, तो यह दुर्ग की सैकड़ों साल पुरानी धरोहर को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकते हैं।

लिविंग फोर्ट है जैसलमेर दुर्ग

- जैसलमेर दुर्ग पीले पत्थर से निर्मित एक लिविंग फोर्ट है, जिसमें आज भी सैकड़ों परिवारों की हजारों की आबादी निवास करती है।

- इसके अलावा दुर्ग में होटल्स, रेस्टोरेंट्स और अन्य कई तरह के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का संचालन होता है। ऐसे में दीवारों की मजबूती बनाए रखना न केवल धरोहर संरक्षण की दृष्टि से आवश्यक है, बल्कि आम लोगों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है।

- प्रशासन और पुरातत्व विभाग से स्थानीय जानकार यह अपील कर रहे हैं कि दुर्ग की प्राचीरों से पीपल जैसे पेड़ों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए, क्योंकि इनकी जड़ें काफी तेजी से फैलती हैं और पत्थरों को अलग-अलग करके दीवारों की मजबूती को नुकसान पहुंचाती हैं। साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वैज्ञानिक तरीके से इन पेड़ों को हटाकर दीवारों की मरम्मत की जाए।

- दुर्ग संरक्षण की जिम्मेदार भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के जिम्मे है। विभाग के कार्मिक इन दिनों दुर्ग के बाहरी परकोटे की दीवारों को दुरुस्त करवाने में जुटे हैं। दूसरी ओर जगह-जगह तेजी से फैल रहे पीपल के पेड़ों ने निश्चित रूप से चिंता बढ़ाई है।

शीघ्रता से कदम उठाने की दरकार

सोनार दुर्ग की प्राचीरों से जितना जल्द हो सके, पीपल को हटाने और दीवारों के सुदृढ़ीकरण की कार्य योजना बनाई जानी चाहिए। इसके अभाव में कभी बड़ा नुकसान हो सकता है।

- श्यामसिंह, पुरातत्व प्रेमी

नियमित निगरानी की जरूरत

जैसलमेर दुर्ग जैसे ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए जन सहभागिता, नियमित निगरानी और समय पर तकनीकी हस्तक्षेप अत्यंत आवश्यक है। ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर यह अमूल्य धरोहर धीरे-धीरे क्षरित हो सकती है।

- कुंज बिहारी, स्थानीय निवासी