
सोनार फोर्ट, जैसलमेर, पत्रिका फोटो
चंद्रशेखर व्यास
राजस्थान में मरुभूमि अब देशभक्ति के पर्यटन का केंद्र बनने को तैयार है। पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद देशभर में राष्ट्रभक्ति की भावना चरम पर है। ऐसे में आगामी पर्यटन सीजन में सीमावर्ती जैसलमेर में बॉर्डर ट्यूरिज्म को पंख लगने की उम्मीद जगी है।
जुलाई-अगस्त से शुरू होने वाले पर्यटन सीजन में ऐसे लाखों पर्यटकों के आने की संभावना है, जो मरुस्थली सौंदर्य के साथ इस बार देश के प्रति प्रेम और सेना के शौर्य से जुड़ी भूमि को देखने का भाव भी लेकर आएंगे। पर्यटन विशेषज्ञों के अनुसार, एक अतिरिक्त दिन ठहरने से होटल व्यवसाय, टैक्सी सेवा, रेस्टोरेंट, हस्तशिल्प व स्थानीय बाजारों में सालाना 80 से 100 करोड़ रुपए तक की आर्थिक बढ़त संभव है।
तनोटराय मंदिर युद्धकाल के दौरान चमत्कारी रूप से सैनिकों की रक्षा का प्रतीक बन चुका है।
वर्ष 1965 और 1971 के युद्धों में गोले यहां गिरकर भी नहीं फटे।
तनोट से लगभग 40 किमी दूर लोंगेवाला युद्धभूमि, 1971 के युद्ध में भारतीय सेना की विजयगाथा की साक्षी है।
सीमा सुरक्षा बल की बबलियानवाला पोस्ट तनोट से 18 किलोमीटर दूर है, यह आम सैलानियों के लिए खोल दी गई है।
अब यहां अटारी बॉर्डर की तर्ज पर रिट्रीट सेरेमनी शुरू करने की योजना है।
अब जैसलमेर केवल सोनार किला और धोरों तक सीमित नहीं रहेगा। जब लोग देशभक्ति के साथ सीमा पर जाकर सेना की शौर्य गाथा देखेंगे, तो यह अनुभव उन्हें जीवनभर याद रहेगा। इससे पर्यटन को नई गहराई मिलेगी। मयंक भाटिया, पर्यटन व्यवसायी
बॉर्डर टूरिजम को लेकर राजस्थान पर्यटन विभाग पूरी तरह सक्रिय है। तनोट क्षेत्र में सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। आने वाले समय में और भी स्थान आम पर्यटकों के लिए खोले जाएंगे, जिससे जैसलमेर पर्यटन को नई गति मिलेगी।
कमलेश्वर सिंह, सहायक निदेशक, पर्यटक स्वागत केंद्र, जैसलमेर
Published on:
02 Jun 2025 09:08 am
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