हकीकत यह भी
ग्रिड सब स्टेशन से 11 केवी हो या 33 केवी की लाइनें सभी कस्बे के बाहर से खींची गई है। बाहरी इलाकों से ही हाइटेंशन लाइनें जाती है। जब ये विद्युत लाइनें लगाई गई थी, उस समय यहां एक प्रकार से सूनसान जंगल हुआ करता था, लेकिन बीते दो दशकों में कस्बे के बाहरी इलाकों में खाली पड़ी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर कई बस्तियां बस गई। एक ओर लोग विद्युत लाइनों के नीचे बसते गए और दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी इन्हें देखते ही रहे। कई बार लोगों को विद्युत लाइनों के खतरे का आभास भी होता रहा, लेकिन आसमान छूते जमीनों के भाव में अपने आशियाने बरकरार रखे।
पूर्व में हो चुके हादसे
पोकरण स्थित 132 केवी जीएसएस से काली मगरी गांव जाने वाली विद्युत लाइनों के ढीले तारों की चपेट में आने से बीते डेढ़ दशक में दो पशु व दो इंसानों की जानें जा चुकी है। कुछ जगहों पर तो लोग दिव्यां का दंश झेल रहे हैं। कस्बे के शिवपुरा व खींवज मंदिर के आसपास करीब एक दशक पूर्व कई लोग करंट की चपेट में आ गए थे।
घरों से छू-कर निकल रहा है खतरा
कस्बे के शिवपुरा व माधोपुरा कच्ची बस्ती में हालात बहुत विकट है। यहां घरों के ठीक ऊपर से हाइटेंशन विद्युत तारें निकल रही है। साथ ही कुछ जगहों पर तो नीचे भी झूल रही है। जिसके कारण यहां हर समय बड़े हादसे का भय बना रहता है। बावजूद इसके जिम्मेदारों की ओर से तारों को अन्यंत्र शिफ्ट करने को लेकर कोई कवायद नहीं की जा रही है।
हर समय हादसे का भय
घरों के ऊपर हाइटेंशन विद्युत तारें निकली हुई है। जिससे छत पर चढऩे के दौरान हादसे का भय रहता है। बारिश व आंधी के दौरान खतरा और भी बढ़ जाता है। - अयूबखां, निवासी शिवपुरा
घरों को छू रहे तार
कस्बे के बाहरी व भीतरी मोहल्लों एवं कॉलोनियों में घरों से छूकर विद्युत तार निकल रहे है। जिनसे हर समय हादसे की आशंका रहती है। जिम्मेदारों को समस्या का समाधान करना चाहिए। - आसकरण गोयल, निवासी फलसूंड रोड