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जैसलमेर

खोखले दावे, हवा हवाई वादे: हर वार्ड में महज एक कूलर, अव्यवस्थाएं भी अपार

सरहदी जिले के दूसरे सबसे बड़े राजकीय जिला चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं की भरमार है। ऐसे में यहां आने वाले मरीजों को परेशानी से रु-ब-रु होना पड़ रहा है, जबकि जिम्मेदार केवल खोखले दावे कर रहे है।

जैसलमेरMay 31, 2024 / 08:00 pm

Deepak Vyas

pokaran news
सरहदी जिले के दूसरे सबसे बड़े राजकीय जिला चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं की भरमार है। ऐसे में यहां आने वाले मरीजों को परेशानी से रु-ब-रु होना पड़ रहा है, जबकि जिम्मेदार केवल खोखले दावे कर रहे है। यही नहीं उच्चाधिकारियों की ओर से निरीक्षण भी किया गया, लेकिन व्यवस्थाओं में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। जानकारी के अनुसार कस्बे में राजकीय जिला चिकित्सालय स्थित है। यहां प्रतिदिन आउटडोर 700 से 800 रहता है। साथ ही 50 से अधिक मरीज भर्ती रहते है और प्रतिदिन औसतन 10 महिलाओं के प्रसव होते है। अस्पताल में दिन भर मरीजों की भीड़ रहती है। अस्पताल में मरीजों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिलने के कारण उन्हें परेशानी हो रही है। बावजूद इसके जिम्मेदारों की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

हकीकत यह भी

अस्पताल में मेल-फिमेल, आपातकालीन, प्रसव अलग-अलग वार्ड स्थित है। यहां पुराने भवन के भी तीन वार्ड बने हुए है। इन वार्डों में हर समय 50 से अधिक मरीज और 15 से अधिक गर्भवती व धात्री महिलाएं भर्ती रहती है। इन दिनों भीषण गर्मी के कारण लू व तापघात के मरीज भी भर्ती हो रहे है। अस्पताल के सभी वार्डों में कुछ वर्ष पूर्व डक कूलर लगवाए गए थे, लेकिन इन डक कूलर में कई दिनों से पानी नहीं भरा जा रहा है ।बिन पानी चल रहे डक कूलर गर्म हवा दे रहे है। अस्पताल प्रशासन की ओर से वार्डों में एक-एक कूलर रखवाए गए है, लेकिन इनमें भी सुबह एक बार पानी भरा जाता है। शाम को कभी कभार ही पानी भरते है। ऐसे में कुछ घंटे बाद ये कूलर भी गर्म हवा देना शुरू कर देते है। भीषण गर्मी व उमस के कारण मरीजों का बेहाल हो जाता है। ऐसे में मरीज ड्रिप लगवाने के बाद अस्पताल की बजाय घर जाकर आराम करना पसंद करते है। जब वापिस चिकित्सक के राउंड का समय होता है तो अस्पताल पहुंच जाते है। इसके अलावा मेल-फिमेल वार्ड में बने शौचालयों में भी पानी नहीं आता है। जिसके कारण मरीजों को परेशानी हो रही है।

परिजनोंं की भीड़ से अन्य मरीज परेशान

अस्पताल में भर्ती होने वाले एक मरीज के साथ दो-तीन परिजन आ जाते है। इसके बाद मरीज को देखने वालों का तांता लगा रहता है। ये परिजन वार्ड के खाली बैड पर बैठ जाते है और शोर-गुल भी करते है। जिसके कारण अन्य मरीजों को परेशानी होती है। यही नहीं वार्ड में एक तरफ रखे कूलर के आड़े परिजनों के बैठ जाने पर पीछे की तरफ सो रहे मरीजों तक हवा भी नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में मरीजों का हाल बेहाल हो रहा है।

निरीक्षण का भी नहीं पड़ा असर

गत दिनों जोधपुर से संयुक्त निदेशक ने अस्पताल का निरीक्षण किया। दो दिन पूर्व जिला प्रभारी सचिव ने भी अस्पताल का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं देखी। इस दौरान अधिकारियों ने व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के निर्देश भी दिए, लेकिन उनके जाने के बाद स्थिति वही ढाक के तीन पात की तरह हो गई है। व्यवस्थाएं नहीं सुधरने के कारण मरीजों को परेशानी हो रही है। इसी प्रकार क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी समय-समय पर अस्पताल का निरीक्षण अवश्य कर रहे है, लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं होने से ये निरीक्षण केवल औपचारिक ही लग रहे है।

फैक्ट फाइल:-

  • 1 वर्ष पूर्व बना है जिला चिकित्सालय
  • 700 से अधिक मरीज प्रतिदिन आते है उपचार करवाने
  • 10 प्रसव औसतन होते है प्रतिदिन
  • 50 मरीज रहते है हर समय भर्ती

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