-डॉ. एनडी इणखिया, प्रभारी भू-जल वैज्ञानिक
जैसलमेर. देश के कुछ चुनिंदा विलक्षण जगहों में से एक आकल वुड फॉसिल्स पार्क को विकसित करने के लिए डीपीआर बनाने की बजट घोषणा स्वागत के योग्य है। यदि सही रूप से इस पार्क के विकास का खाका खींचा जाता है तो निश्चित रूप से इस पार्क की दशा सुधर सकती है। इसे विडंबना कहे या खराब प्रबंधन इतनी विलक्षण धरोहर होते हुए भी हम इसे लोगों के आकर्षण का केंद्र नहीं बना पाए। जैसलमेर शहर से मात्र पंद्रह किलोमीटर की दूरी और गुजरात को जोडऩे वाले राजमार्ग पऱ होते हुए भी पर्यटक यहां नहीं आते। सुनियोजित विकास से यहां एक नए पर्यटक आकर्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है। आकल वुड फोसिल्स पार्क वर्तमान में केवल वुड फॉसिल के लिए ही जाना जा रहा है, लेकिन जैसलमेर के भू वैज्ञानिक इतिहास, विविधत्ता और फॉसिल्स खजाने को देखते हुए इसकी पहचान भी वृह्द होनी चाहिए। बहुत कम लोग जानते है कि जैसलमेर का भू विज्ञान जुरासिक काल से संबंध रखता है। यहां के भू-भाग का विकास और निर्माण इसी काल खंड में हुआ माना जाता है। भू-वैज्ञानिक काल क्रम के इस काल में वनस्पति और जीव अपने चरम पर थे। डायनासोर जैसे विशालकाय जीव भी इसी काल खंड में पाए जाते थे। यही कारण है की डायनासोर और जैसलमेर के जुड़ाव की बाते आए दिन हो जाती है, ऐसे में आकल वुड फॉसिल्स पार्क को यदि जुरासिक पार्क के रूप में विकसित किया जाता है तो बात ही कुछ और होगी।
ये हो सकता है नवाचार
जुरासिक पार्क की बात आते हीए आस्कर विजेता फिल्म जुरासिक पार्क की याद आ जाती है। इस फिल्म में डायनासोर के सरंक्षण को दिखाया गया है। आकल वुड फॉसिल्स पार्क में वुड फॉसिल्स के संरक्षण के साथ साथ उस काल क्रम को कुछ हद तक जीवंत किया जा सकता है। पार्क के अंदर स्थित तालाब के आस पास घना वन विकसित किया जा सकता है। सघन पौधरोपण के बीच बीच में डायनासोर के बने मॉडल लोगों को आकर्षित कर सकते है। जैसलमेर के भू-वैज्ञानिक इतिहास को दर्शाते हुए यहां एक स्टोन पार्क की भी स्तापना ही सकती है। देश-विदेश के कॉलेज और विश्व विद्यालय से भू-विज्ञान के शोधार्थी यहां आते रहते है। उनके लिए कैंपिंग साइट विकसित कर शोध को बढ़ावा दिया जा सकता है। जैसलमेर में वुड फॉसिल्स के अलावा अन्य जिवाशम भी प्रचूर मात्रा में पाए जाते है। इन जीवाश्मों का प्रदर्शन और उनके बारे में जानकारी पार्क में लोगों की रुचि बढ़ाएगी। आकल पार्क जैव विविधता का भी अच्छा संग्रह है। लगभग हर मरु वनस्पति यहां मौजूद है। कई जीवो को भी यहां देखा जा सकता है। जुरासिक काल सरिसर्प काल माना जाता है। मरुभूमि में भी सरीसर्प की विभिन्न और दुर्लभ प्रजातियां पायी जाती है। कोबरा, पीवना, बोगी, बांडी, गोरावा, गो, गिरगिट, जैसे सरिसर्प की एक दीर्घा ना केवल इन प्रजातियों को सरक्षित करेगी बल्की आकर्षण भी पैदा करेगी। आकल वुड फोसिल पार्क का विकास जैसलमेर में जियोटूरिज्म की एक नई शुरुआत करेगा। जुरासिक पार्क की थीम ऑनलाइन और ऑफलाइन पर्यटन के आकर्षण का केंद्र बनेगी।