जोधपुर-जैसलमेर रेलमार्ग पर स्थित क्षेत्र के श्रीभादरिया-लाठी रेलवे स्टेशन पर गत 4 वर्षों से लंबी दूरी की रेलों का ठहराव नहीं हो रहा है। ऐसे में यात्रियों को जैसलमेर अथवा पोकरण या गोमट स्टेशन से यात्रा करनी पड़ रही है। गौरतलब है कि रेलवे विभाग की ओर से यात्रियों की सुविधा को लेकर रेल सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व पोकरण स्टेशन पर रेलों की संख्या बढ़ाई गई है, जबकि लाठी स्टेशन पर रेलों का ठहराव बंद कर दिया गया है। पूर्व में जोधपुर-जैसलमेर रेलमार्ग पर संचालित कई लंबी दूरी की रेलों का लाठी स्टेशन पर ठहराव होता था। कोरोना काल के दौरान रेलों का संचालन बंद कर दिया गया। करीब चार वर्ष पूर्व रेलों का संचालन शुरू कर दिया गया, लेकिन लाठी रेलवे स्टेशन पर ठहराव नहीं होने के कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है। जोधपुर-जैसलमेर व बीकानेर-जैसलमेर के बीच संचालित कई रेलों का लाठी स्टेशन पर ठहराव नहीं हो रहा है। ऐसे में यात्री परेशान हो रहे है। हालांकि एक जोड़ी रेल का ठहराव यहां हो रहा है। इसके अलावा रेलों का ठहराव नहीं होने के कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है।
जोधपुर-जैसलमेर रेल मार्ग के लाठी स्टेशन से प्रतिदिन सैकड़ों यात्री सफर करते थे। क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में युद्धाभ्यास के लिए आने वाले सेना के जवान भी यहीं से यात्रा करते थे, लेकिन रेलों का ठहराव नहीं होने के कारण यात्रियों को जैसलमेर, गोमट या पोकरण जाकर रेल से यात्रा करनी पड़ रही है। जिससे उन्हें परेशानी हो रही है।
लाठी स्टेशन पर गत 4 वर्षों से केवल एक रेल का संचालन हो रहा है। वह भी जैसलमेर-जोधपुर साधारण सवारी गाड़ी का। ऐसे में यात्रियों को लंबी दूरी की रेलों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। साथ ही अन्यंत्र जाकर यात्रा करने से परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है।
क्षेत्र के ग्रामीणों की ओर से इस संबंध में कई बार रेलवे विभाग के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया गया, लेकिन यहां रेलों के ठहराव को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिसके कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है।
पूर्व में लाठी स्टेशन पर कई रेलों का ठहराव होता था। जिससे यात्रियों को सफर में राहत मिल रही थी। अब रेलों का ठहराव नहीं होने से परेशानी हो रही है।
लाठी स्टेशन से आसपास क्षेत्र के यात्री सफर करते थे। अब लंबी दूरी की रेलों का संचालन बंद होने के कारण अन्यंत्र जाकर सफर करना पड़ता है। जबकि जिम्मेदार कोई ध्यान नहीं दे रहे है।
Updated on:
16 Jun 2025 08:00 pm
Published on:
16 Jun 2025 10:56 pm