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घरेलू मेहमानों पर दारोमदार…सात समंदर पार के पाहुणों में कमी

देश के कोने-कोने से सैलानी स्वर्णनगरी के नाम से मशहूर जैसलमेर का दीदार करने पहुंच रहे हैं, वहीं सात समंदर पार यानी विदेशों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में पिछले कई वर्षों से गिरावट का रुख बना हुआ है।

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जैसलमेर. पहले के मुकाबले विदेशी पर्यटकों की आवक में दर्ज की जा रही है कमी।

देश के कोने-कोने से सैलानी स्वर्णनगरी के नाम से मशहूर जैसलमेर का दीदार करने पहुंच रहे हैं, वहीं सात समंदर पार यानी विदेशों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में पिछले कई वर्षों से गिरावट का रुख बना हुआ है। हकीकत यह है कि वैश्विक महामारी कोरोना के आगमन यानी 2020 से विदेशी पर्यटन की गति थमी जो अब तक सामान्य नहीं हो पाई है। किसी समय में जैसलमेर मुख्य रूप से विदेशी सैलानियों के बीच ही लोकप्रिय था। 21वीं सदी की शुरुआत से विदेशी के साथ देशी पर्यटकों का ध्यान भी इस छोटे से शहर की तरफ आकृष्ट हुआ। दो दशकों तक देशी-विदेशी पाहुणों की आवक साथ-साथ चलती रही, लेकिन अब देशी पर्यटन बहुत आगे निकल गया है।

बढऩे की बजाए घट गए विदेशी

आज से 7 वर्ष पूर्व जैसलमेर आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या 1.36 लाख का आंकड़ा पार कर गई थी। अब यह तादाद घट कर एक तिहाई से भी कम रह गई है। राज्य सरकार की ओर से दिए गए दिशा-निर्देशानुसार पिछले कुछ वर्षों से पर्यटन विभाग की तरफ से पर्यटकों में रामदेवरा सहित अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शनार्थ आने वाले लोगों को भी शामिल किया जाता है। जिससे देशी पर्यटन का आंकड़ा एकदम से बढ़ गया। इसके बावजूद यह भी सच है कि विशुद्ध पर्यटन के लिए आने वाले देशी सैलानियों की संख्या भी 10 से 12 लाख तक पहुंच गई है, वहीं विदेशी सैलानियों की संख्या गत वर्ष 31, 797 दर्ज की गई।

विदेशियों की कमी के प्रमुख कारण

  • अंतरराष्ट्रीय हालातों से विदेशी पर्यटक बहुत प्रभावित होते हैं। मसलन, एशियाई क्षेत्र में चलने वाले संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध आदि से सात समंदर पार से आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आती है।
  • जैसलमेर में विदेशी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विगत वर्षों के दौरान शासन-प्रशासन की तरफ से कोई नवाचार नहीं किया गया है।
  • जैसलमेर तक पहुंचने के सार्वजनिक यातायात के साधन आज भी कम हैं। विमान सेवा साल में केवल चार-पांच माह तक संचालित होती है। लम्बी दूरी की ट्रेनों का अभाव बना हुआ है।
  • जैसलमेर में लपकावृत्ति और पर्यटकों के साथ ठगी व धोखाधड़ी जैसी घटनाओं के कारण गाइड बुक्स में शहर की छवि खराब हुई है।
  • विदेशियों को दिखाने के लिए जैसलमेर में नए आकर्षणों की कमी नहीं हैं, लेकिन वहां तक उनकी पहुंच आज तक नहीं बनी है।एक्सपर्ट व्यू -विदेशियों को शांति व सुकून की तलाशजैसलमेर में विदेशी सैलानियों के विगत वर्षों में कमी के कई कारण हैं। जिनमें कोरोना और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में संघर्ष प्रमुख है। इसके अलावा विदेशी आम तौर पर भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रहना पसंद करते हैं क्योंकि वे शांति व सुकून की चाहत रखते हैं। सर्दियों के मौसम में जैसलमेर में देशी पर्यटकों का बूम रहने के कारण वे राजस्थान में ही झालामण, लूणी, नारलोई आदि जैसे स्थानों के भ्रमण को तरजीह देते हैं। वर्ष पर्यंत हवाई सेवा उपलब्ध नहीं होने से भी उन्हें यहां पहुंचने में बहुत समय खर्च करना पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय टूर ऑपरेटर्स को सीजन समय में जैसलमेर में होटल्स काफी महंगे मिलते हैं। इससे भी विदेशी कम होते हैं।
  • गजेन्द्र शंकर शर्मा, पर्यटन विशेषज्ञ