लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के गठन के बाद मांग हुई तेज
वर्ष 1989 में लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन ने अपने गठन के साथ ही इस मांग को लेकर एकजुट होकर आंदोलन छेड़ दिया था। यूनियन टेरेटरी की मांग को लेकर लेह व कारगिल जिलों में राजनीतिक पार्टियों के साथ लोग भी एकजुट थे। वर्ष 2002 में लद्दाख यूनियन टेरेटरी फ्रंट के गठन के साथ इस मांग को लेकर सियासत तेज हो गई थी। वर्ष 2005 में लद्दाख यूनियन टेरेटरी फ्रंट ने लेह हिल डेवेलपमेंट काउंसिल की 26 में से 24 सीटें जीत ली थी। इसके बाद से लद्दाख ने इस मांग को लेकर पीछे मुड़ कर नही देखा। इसी मुद्दे को लेकर वर्ष 2004, 2014 व 2019 में लद्दाख ने सांसद जिताकर दिल्ली भेजे थे।
लद्दाख की जीत के असली हीरो थुप्स्तन छिवांग
लद्दाख को यूनियन टेरेटरी फ्रंट बनाने के मुद्दे पर दो बार सांसद चुने गए थुप्स्तन छिवांग लद्दाख की जीत के असली हीराे हैं। पिछले चालीस सालों से यूनियन टेरेटरी की मांग को लेकर जद्दोजहद करने वाले छिवांग ने वर्ष 1989 में लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन की कमान संभाली थी। उन्होंने वर्ष 2002 में लद्दाख यूनियन टेरेटरी फ्रंट बनाने में भी मुख्य भूमिका निभाई। वर्ष 2010 यूटी की मांग को पूरा करने के लिए फ्रंट ने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया।
मांग नहीं हुई पूरी तो दिया इस्तीफा
वर्ष 2004 में लद्दाख यूनियन टेरेटरी फ्रंट के उम्मीदवार थुप्स्तन छिवांग सांसद बनकर लद्दाख पहुंचे थे। इसके बाद वह वह 2014 में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लद्दाख से फिर सांसद बने। भाजपा में आने के बाद वर्ष 2014 में सांसद के रूप में भी छिवांग यूटी के लिए पार्टी पर दवाब बनाते आए। ऐसे में जब एनडीए के पहले कार्यकाल में उन्हें यह मांग पूरी होती नहीं दिखी तो उन्हाेंने विरोध में सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया। बहुत मनाने के बाद भी वह 2019 में भाजपा के उम्मीदवार बनने के लिए तैयार नहीं हुए।
लद्दाख को यूटी का दर्जा मिलना सभी मसलों का हल:-सांसद
वर्ष 2019 में यूनियन टेरेटरी फ्रंट की मांग को लेकर चुनाव लड़ने वाले भाजपा के जामियांग त्सीरिंग नांग्याल सांसद बने। उनका कहना है कि यूनियन टेरीटरी लद्दाख क्षेत्र के सभी मसलों का हल है। यह मांग पूरी होने क्षेत्र के लोगों की बहुत बड़ी जरूरत है। यह हर लद्दाख की इच्छा थी कि यूटी मिले। जामियांग ने कहा कि उनकी हिल काउंसिल यूनियन टेरेटरी की मांग को जोरशोर से उजागर करती आई है। विकास के क्षेत्र में आने वाली मुश्किलों का हवाला देते हुए उन्होेंने कहा कि पहले लद्दाख को अलग डिवीजन बनाया गया व अब यूनियन टेरेटरी की मांग भी पूरी हो गई।
कश्मीर केंद्रित सरकारों ने किया नजरअंदाज
जामियांग ने कहा कि राज्य का 70 प्रतिशत क्षेत्र लद्दाख में है व यह क्षेत्र साल में छह महीने बंद रहता है। यह इलाका दो ऐसे देशों के साथ सीमाएं साझा करता है जिनकी नीयत पर भरोसा नही किया जा सकता है। लद्दाख से भेदभाव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर केंद्रित सरकारों ने हमें हमेशा नजरअंदाज किया है। उनकी राजनीति सिर्फ कश्मीर व जम्मू तक ही केंद्रित होने के कारण लद्दाख पिछड़ता गया।
लद्दाख बना यूटी तो हुआ इंसाफ ( union territory Ladakh )
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में लद्दाख को कमजोर रखने की साजिश बड़ी पुरानी है। सरकार बनाने की प्रक्रिया में लद्दाख को कमजोर करने के लिए ही क्षेत्र में विधानसभा की सीटों को 4 तक सीमित रखा गया। भाजपा लद्दाख को यूनियन टेरेटरी बनाने पर शुरू से गंभीर थी। इसे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी मंजूरी मिली थी। लद्दाख को यूनियन टेरेटरी बनाना लद्दाखियों के आस्तित्व से जुड़ी एक बहुत पुरानी मांग थी। लद्दाख से भेदभाव के कारण ही इसे कश्मीर संभाग से अलग करने की मांग उठी थी। अब भाजपा ने लद्दाख को यूटी बनाकर इंसाफ किया है।