7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हमारा जिम्मा सिर्फ पार्क का, बाहर के मगरमच्छ मरे या कहीं जाए, हमें क्या!

हम सिर्फ क्रोकोडायल पार्क के मगरमच्छ का संरक्षण करेंगे, गांव के अन्य तालाबों का मगरमच्छ मरे या कहीं जाए इससे हमें क्या करना है

2 min read
Google source verification

image

Chandu Nirmalkar

May 11, 2016

Crocodile Reserve

Crocodile Reserve

हरिलाल अग्रवाल/जांजगीर-चांपा.
हम सिर्फ क्रोकोडायल पार्क के मगरमच्छ का संरक्षण करेंगे, गांव के अन्य तालाबों का मगरमच्छ मरे या कहीं जाए इससे हमें क्या करना है। यह कहना वन विभाग के डीएफओ का है, जिन्हें कोटमीसोनार के मगरमच्छों की लगातार हो रही मौतों से कोई सरोकार नहीं है और न ही मौतों की रोकथाम व उनके संरक्षण की दिशा में कोई कदम उठाया जा रहा है।


यही वजह है कि प्रदेश में अपनी पहचान बनाने वाले कोटमीसोनार में मगरमच्छ सुरक्षित नहीं है। अकलतरा ब्लाक अंतर्गत ग्राम कोटमीसोनार के विभिन्न तालाबों में मगरमच्छों की भरमार है, जिसे संरक्षित करने के लिए शासन ने वर्ष 2006 में मगरमच्छ परियोजना बनाई। गांव के मुड़ा तालाब को क्रोकोडायल पार्क के रूप में विकसित किया गया है। करीब 49 हेक्टेयर क्षेत्र को परियोजना के लिए सुरक्षित किया गया है, जहां रिकार्ड के मुताबिक करीब दो सौ मगरमच्छ है।


इसके अलावा गांव के कर्रा नाला जलाशय, जगास तालाब, अमहा तालाब, दर्री सहित अन्य तालाबों में अभी भी मगरमच्छों की भरमार है, जिनकी सुरक्षा या संरक्षण भगवान भरोसे है। देखरेख के अभाव में लगातार मगरमच्छों की जान जा रही है। इसके बावजूद वन विभाग के अफसरों को इससे कोई सरोकार नहीं है। अफसर केवल परियोजना क्षेत्र के मगरमच्छों का सरंक्षण करने हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं, जबकि गांव के अन्य तालाबों का मगरमच्छ मरे या किसी को मारे इससे उन्हें कोई सरोकार नहीं है।


पोस्टमार्टम कराकर खानापूर्ति

दो दिन पहले ही गांव के डबरी तालाब में करीब ढाई फीट का मगरमच्छ मृत अवस्था में देखा गया। चिकित्सक ने पीएम में खुलासा किया कि उसकी मौत पानी की कमी से हुई है। जाहिर है कि जब वन विभाग के अफसरों ने ही पार्क के अलावा गांव के अन्य मगरमच्छों के सरंक्षण से मुंह फेर लिया है । दो माह पहले भी ट्रेन की चपेट में आकर एक मगरमच्छ की मौत हो गई थी। इसी तरह दो माह पहले गांव के नया तालाब में करीब एक फीट का मगरमच्छ मृत अवस्था में देखा गया था, जिसका पीएम कराकर खानापूर्ति कर दी गई।


दो दिन पहले मृत मिले मगरमच्छ पार्क व आरक्षित एरिया का नहीं है, जबकि इससे पहले ट्रेन की चपेट में आया मगरमच्छ भी पार्क के बाहर का था। हमारा दायित्व क्रोकोडायल पार्क के मगरमच्छों के सरंक्षण का है। गांव के अन्य तालाबों में भी मगरमच्छ है उसका संरक्षण की जवाबदारी हमारी नहीं है। हमें जो काम मिला है वह कर रहे हैं।

प्रभात मिश्रा, डीएफओ, वन विभाग