10 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महाराष्ट्र के कृषकों ने मिलेट्स प्रसंस्करण सेंटर का किया अवलोकन

भ्रमण प्रशिक्षण: डिहाइड्रेशन यूनिट, फूड लैब, जिला संग्रहालय एवं जैविक खेती के ट्रेनिंग सेंटर में पहुंचकर विभिन्न प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग तकनीक की ली जानकारी

2 min read
Google source verification
A group of tribal farmers reached Jashpur from Maharashtra.

महाराष्ट्र से जशपुर पहुंचा वहां के आदिवासी किसानों का दल।

जशपुरनगर. महाराष्ट्र के जव्हार से आए आदिवासी कृषकों ने मंगलवार को जशपुर विकासखण्ड के बालाछापर स्थित ढेकी कुटा चावल, मिल्लेट्स कोदो, कुटकी एवं रागी प्रसंस्करण सेंटर के साथ-साथ डिहाइड्रेशन यूनिट, मंथन फूड लैब, जिला संग्रहालय एवं जैविक खेती के ट्रेनिगं सेंटर का अवलोकन किया। जहां अशासकीय संस्था के द्वारा विभिन्न प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग तकनीक पर प्रशिक्षण भी दिया गया। इस प्राईवेट फार्मर्स प्रोड्यूसर कम्पनी की मास्टर ट्रेनर अनेश्वरी भगत ने अतिथि किसानों को बालाछापर में किए जा रहे ढेकी से देशी चावल एवं मोटे अनाज, मिल्लेट्स, प्रसंस्करण का प्रशिक्षण दिया। ढेकी से देशी चावल एवं मोटे अनाज मिल्लेट्स, प्रसंस्करण को देखकर कृषक काफी उत्साहित हुए। जवाहर के आदिवासी किसान भरत तुकाराम खिरारी ने बताया की उन्हें ये तो पता था की ढेकी चावल ज्यादा स्वादिस्ट होता है एवं ज्यादा फायदेमंद होता है पर जशपुर आकर उन्होंने पहली बार जाना की वैज्ञानक जांच के बाद इनमें सच में कई सौ गुना ज्यादा पौष्टिकता होती है एवं इसका बहुत ज्यादा मांग बाजारों में है। महाराष्ट्र से आए किसान महेश शंकर पवार ने कहा की हमारे यहां कोदो और कुटकी की पहले खेती होती थी पर कुटाई की सुविधा एवं साधन नहीं होने से उसका खेती कोई नहीं करता, यहां आकर पता चला की बहुत आसानी से इसका प्रसंकरण कर इसको बाजार में बेचा जा सकता है। सभी कृषक इसके बाद मंथन फूड लैब गए एवं वहां पर एनआरएलएम के जिला प्रमुख विजय शरण प्रसाद ने विस्तार से चर्चा करके विभिन पैकेजिंग उपकरण के कार्य पद्धति को बताया एवं खाद्य प्रसंस्करण से होने वाले फायदों के बारे में जानकारी दी।

विगत वर्षों से जिला प्रशासन द्वारा महुआ प्रसंस्करण के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयास को राज्य में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी साराहा जा रहा है। जहां आदिवासी समुदाय महुआ से शराब बनाने के प्रक्रिया से अलग होकर महुआ के फूल से विभिन्न स्वादिष्ट एवं पौष्टिक खाद्य सामग्री बनाकर आय अर्जन कर रहे हैं। इस प्रयास को समीप के झारखंड राज्य के सिमडेगा जिला पुलिस प्रशासन द्वारा वहां के जन समुदाय विशेष कर महिला स्वयं सहायता समूह को प्रशिक्षित करना चाह रही है। इसी क्रम में महाराष्ट्र से आए हुए आदिवासी क्षेत्र के किसानों के साथ-साथ पड़ोसी राज्य झारखंड के सिमडेगा जिले के स्वयं सहायता समूह के सदस्यों का प्रशिक्षण रखा जा रहा है। इस प्रयास से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में महुआ प्रसंस्करण से खाद्य सामग्री तैयार कर रोजगार उत्पन्न करने के क्षेत्र में बल मिलेगा।

किसान लेंगे प्रशिक्षण का लाभ- जशपुर जिला प्रशासन द्वारा प्राथमिक प्रसंस्करण की दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजना 3 एवं 4 अप्रैल को किया जा रहा है, जिसमें जिले के अग्रणी वनोपज संग्राहक, करसन उत्पादक संगठनों के किसान, महाराष्ट्र के जव्हार से आए कृषक और जशपुर के पड़ोसी जिले सिमडेगा झारखंड के किसान प्रशिक्षण का लाभ लेंगे।


बड़ी खबरें

View All

जशपुर नगर

छत्तीसगढ़

ट्रेंडिंग