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CG Weather: गर्मी ने अभी ठीक से दस्तक भी नहीं दिया और सामने आने लगे दावानल के मामले

विभाग अलर्ट: जिले के फरसाबहार क्षेत्र के कई हिस्सों में वनों में लगी है आग

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There is forest fire in many parts of Farsabahar area.

फरसाबहार क्षेत्र में कई हिस्सों में वनों में लगी है आग।

जशपुरनगर. गर्मी के मौसम के दस्तक देते ही जशपुर आदिवासी वनांचल जिले में वनों में लगने वाली घटनाओं के मामले भी लगातार सामने आ रही है, जिससे वन और पर्यावरण के लिए काम करने वाले पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता जाहिर की है। कि तमाम तरह की कोशिशों के बावजूद हर साल होने वाली वनों में आगजनी को रोकने में विभाग को सफलता नहीं मिल रही है। गर्मी के मौसम में जंगल को दहकने से रोकने के लिए वन विभाग ने जागरूकता अभियान शुरू किया है। वनविभाग के इस कार्य में पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित जगेश्वर राम यादव भी जुड़ गए है। इस संबंध में जानकारी देते हुए जशपुर डीएफओ जितेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि जिले में जंगल में आग की 70 प्रतिशत घटनाएं महुआ चुनने के लिए, पेड़ के आसपास की पत्ती को जला कर साफ करने के चक्कर में लगाई जाती है। जानकारी के अनुसार क्षेत्र के ग्रामीण, महुआ के पेड़ों के आसपास के सूखे पत्तों में आग लगा देते हैं। यही आग सूखी टहनियों और हवा के झोके से देखते ही देखते पूरे जंगल को चपेट में ले लेते हैं। डीएफओ उपाध्याय ने बताया कि जंगल को दहकने से रोकने के लिए वन विभाग हर साल की भांति ग्राम वनसुरक्षा समितियों के सक्रिय करने के साथ वन्य क्षेत्रों में फायर वाचर की तैनाती गई है।

जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 5339.785 वर्ग किलोमीटर, इसमें 27५2.285 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वनों से घिरा है। जानकारी के लिए बता दें कि जशपुर जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 5339.785 वर्ग किलोमीटर है। इसमें 2752.285 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में कागजों में जंगल से घिरा हुआ है। लेकिन जानकार बताते हैं कि, यह सरकारी आंकड़ा सिर्फ कागजों तक ही समिति है। अवैध कटाई और आगजनी की वजह से जिले की हरियाली तेजी से सिमटती जा रही है। इसका सीधा असर साल दर साल बढ़ रहे तापमान और मौसम चक्र में परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा है।

वन्य जीवों के व्यवहार पर भी पड़ा गहरा असर- वन्य जीवों के व्यवहार में भी उजड़ते हुए जंगलों ने गहरा असर डाला है। सुरक्षित आश्रय और चारा व पानी की कमी की वजह से हिंसक हो रहे वन्य जीवों ने मानव बस्ती की ओर रूख करना शुरू कर दिया है। इससे इंसान और वन्य जीवों के बीच संघर्ष की स्थिति बनती जा रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले में बीते एक साल के दौरान हाथियों के हमले में 15 लोगों की जानें जा चुकी है। वनों की सुरक्षा के लिए रेंजर, डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड के साथ वन विभाग ने जिले में 360 ग्राम वन समिति व 131 वन समितियों का गठन किया हुआ है। इन समितियों का दायित्व वन की सुरक्षा के साथ गांवों की सामाजिक व आर्थिक उन्नति में योगदान देना भी तय किया गया है। लेकिन समिति के पदाधिकारी व सदस्य, सरकार और आमजनता की उम्मीदों पर अब तक खरा नहीं उतर पाएं हैं।

जागरूकता के लिए पद्मश्री जागेश्वर राम भी जुड़े - जंगल को आग से बचाने के लिए वनविभाग द्वारा चलाए जा रहे अभियान से पद्मश्री से सम्मानित समाज सेवक जागेश्वर राम भी जुड़ गए हैं। जागेश्वर राम ने बताया कि जंगल को बचाना हम सबका उत्तरदायित्व है। जंगल मनुष्य के जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। उन्होंने बताया कि वनविभाग के जागरूकता अभियान में शामिल हो कर वे ग्रामीणो से महुआ बिनने के लिए पत्ती में आग ना लगाने और जंगल की रक्षा करने की अपील करते हैं। उल्लेखनीय है कि जागेश्वर राम यादव को हाल ही में विशेष संरक्षित जनजाति बिरहोर के विकास के लिए किये गए सामाजिक कार्य के लिए, राज्य सरकार की अनुशंसा पर केन्द्र सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है। वे जशपुर जिले के कुनकुरी ब्लाक के रहने वाले हैं।


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