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सामाजिक कार्यों के लिए वार्डों में बनाये गए थे सामुदायिक भवन, लेकिन अब उन्हीं में चल रहा ये सरकारी काम !

कहीं चल रहा शहरी आजीविका केन्द्र तो कहीं से खाद्यान्न योजना का बांटा जा रहा राशन

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सामाजिक कार्यों के लिए वार्डों में बनाये गए थे सामुदायिक भवन, लेकिन अब उन्हें में चल रहा ये सरकारी काम !

जशपुरनगर. शहर में नगरपालिका परिषद के द्वारा जिस उद्देश्य से कई वार्डो में सामुदायिक भवन का निर्माण कराया है उस उद्देश्य की पूर्ति ही नहीं हो रही है। शहर के वार्डो में नाम के लिए सामुदायिक भवनों का निर्माण तो करा दिया गया है, लेकिन उसका सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। सामुदायिक भवनों का निर्माण वार्ड वासियों के सुविधा के लिए कराया गया है। लेकिन शहर के लोगों को इसकी सुविधा नहीं मिल पा रही है।
शहर के नागरिकों को सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रमों के लिए एक स्थान उपलब्ध कराने के सामुदायिक भवनों का महत्व किसी से छिपा नहीं है। हर वार्ड में ऐसे कार्यक्रमों के लिए सुविधायुक्त स्थान की जरूरत पड़ती है। जहां मोहल्ले के लोग शादी-विवाह समारोह कर सकें। अपने घर आने वाली बारात को ठहरा सकें इसके अलावा कई सामाजिक कार्यों के लिए भी सामुदायिक भवनों का उपयोग मोहल्ले के लोगों द्वारा किया जाता है। शहर के लोगों को यही सहूलियतें प्रदान करने के लिए नगर पालिका ने कई वार्डों में सामुदायिक भवन का निर्माण कराया है। पर जिस उद्देश्य से सामुदायिक भवनों का निर्माण हुआ है, उस उद्देश्य की पूर्ति होती दिख नहीं रही है।
१५ वर्ष पहले शहर ब्लॉक कॉलोनी, दरबारी टोली के संगम चौक में सामुदायिक भवन बनाया गया था। इस भवन के बनने के बाद इस मोहल्ले के लोगों को उम्मीद था कि नगर पालिका के द्वारा बनाए गए सामुदायिक भवनों का उपयोग वे अपने घरो में होने वाले कार्यक्रमों या फिर मोहल्ले में होने वाले सांस्कृति कार्यक्रमों में करेंगे।
लेकिन नगर पालिका ने इस सामुदायिक भवन को पीडीएस दुकान बना दिया है, जिससे शहर के लोग क्षुब्ध हैं। पीडीएस दुकान भी दूसरे वार्डों के राशनकार्ड धारियों के लिए है। पीडीएस दुकान होने के कारण अब इस सामुदायिक भवन का उपयोग वार्ड के लोग नहीं कर पा रहे हैं।
इसी तरह करीब दस साल पहले शहर के मिलन चौक में मुख्य डाकघर के बगल में एक विशाल सामुदायिक भवन बनाया गया है। इसी तरह नवाटोली सन्ना रोड में बालक छात्रावास के पास भी सामुदायिक भवन बनाया गया था। इसका भी हाल अन्य सामुदायिक भवनों की तरह ही है। यहां भी शुरु-शुरु में कई सामाजिक आयोजन एवं वैवाहिक कार्यक्रम हुए। लेकिन उसके बाद यहां शहर के स्कूलों का मध्याह्न भोजन बनाया जाने लगा। उसके बाद काफी दिनों तक यह सामुदायिक केंद्र बंद पड़ा रहा। वर्तमान में इस सामुदायिक भवन में शहरी आजीविका केंद्र बना दिया गया है। जिससे इस भवन का उपयोग मोहल्लेवासी नहीं कर पा रहे हैं।

सामुदायिक भवनों का उपयोग कार्यक्रमों के लिए : शहर के नागरिकों की सुविधा के लिए बनाए गए सामुदायिक भवनों का दूसरा उपयोग करने एवं उसका लाभ लोगों को नहीं मिलने को लोग उचित नहीं मानते हैं। शहर के लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन को अपने कार्य के लिए भवनों की आवश्यकता पड़ रही है, तो उसका अलग से निर्माण कराएं। लोगों के उपयोग के लिए बनाए गए सामुदायिक भवनों का दूसरा उपयोग करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। लोगों का कहना है कि नगर पालिका लोगों को सुविधा नहीं दे पा रही है, तो कम से कम दी गई सुविधा से तो उन्हे वंचित न करे। सामुदायिक भवनों का हर हाल में मोहल्लेवासियों के हित में सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यों में ही उपयोग होना चाहिए। शहर में वैसे भी सामाजिक कार्यों के लिए ऐसे भवनों की कमी है।