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झालावाड़

ऐसा क्या हुआ है कि नसबंदी में महिलाएं पुरूषों से आगे हो गई

पुरुष नसबंदी में शायद इस बार हम पिछड़ नहीं जाए।

झालावाड़Jan 25, 2018 / 05:45 pm

bharat sharma

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पुरुष नसबंदी में शायद इस बार हम पिछड़ नहीं जाए।


झालावाड़. जिले में पुरुष नसबंदी में शायद इस बार हम पिछड़ नहीं जाए। अगर लक्ष्यों की बात करें तो इस बार भी महिलाएं नसबंदी में पुरूषों से आगे ही रहेगी। पुरूष नसबंदी की बात करें तो चिकित्सा विभाग लक्ष्य का मात्र १ फीसदी ही अर्जित कर पाया है।
चिकित्सा विभाग को इस वित्तीय सत्र में (31 मार्च) से पहले कुल 700 पुरूष नसबंदी के लक्ष्य मिले हैं लेकिन अभी तक विभाग ने मात्र ७ नसबंदी ही की है। ऐसे में अब ६९३ नसबंदी के लिए गिनती के दिन ही शेष बचे हैं। अब ३१ मार्च तक ६६ दिन में 693 पुरूष नसबंदी का लक्ष्य चिकित्सा विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है। इसके उलट महिला नसबंदी में जहां विभाग के पास 31 मार्च तक 5 हजार 466 नसबंदी कराने का लक्ष्य है। अभी तक चिकित्सा विभाग द्वारा 5 हजार 314 महिलाओं की नसबंदी की जा चुकी है। यह महिला नसबंदी के कुल लक्ष्य का 98.12 फीसदी है।
नहीं है रूझान
चिकित्सा विभाग के सूत्रों की मानें तो पुरूष नसबंदी के प्रति लोगों का रूझान नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश पुरूष महिलाओं की नसबंदी कराने में ही रूचि ले रहे है। उधर ग्रामीण क्षेत्रों में पुरूष महिलाओं को नसबंदी के लिए आगे कर देते है। ऐसे में परेशानी हो रही है। ऐसे में लक्ष्यों की पूर्ति बाधा बनी हुई है।
काउंसलिंग का अभाव
जानकारों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में यदि पुरूष नसबंदी के लिए काउंसलिंग की जाए तो इस लक्ष्य को पाना आसान रहेगा। पिछले १० माह की बात करें तो अभी तक चिकित्सा विभाग ने पुरूष नसबंदी के लिए कोई काउंसलिंग कार्यक्रम आयोजित नहीं किया। ऐसे में पुरूष नसबंदी में जिला पिछड़ रहा है।
-भ्रांतियां बनी परेशानी
सूत्रों ने बताया कि पुरूष नसबंदी के बाद कमजोरी आने समेत शरीर कमजोर होने की भ्रांतियां ग्रामीण क्षेत्रों में फैली होने के लगातार नसबंदी में विभाग पिछड़ रहा हैं। मनोहरथाना, अकलेरा, व खानपुर के कई ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की भ्रांतियां अधिक फैली हुई है। ऐसे में इसके लक्ष्य पाने की राह टेढ़ी हो रही है।
इस मामले में उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मन्नालाल का कहना है कि महिला नसबंदी में लक्ष्य के करीब है। लेकिन पुरूष नसबंदी में पिछड़ रहे है। फरवरी व मार्च में मेगा शिविरों का आयोजन कर संभवत यह लक्ष्य भी हासिल करने का प्रयास करेंगे।

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