एक ओर लोग अपनी लोक परंपरा और संस्कृति को भूलते चले जा रहे हैं, वहीं आज भी सेन समाज के राव-भाट अपनी परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं। इन्होंने 750 से अधिक गांवों के 9 लाख 80 हजार परिवारों की वंशावली का लेखा जोखा अपनी पोथी में अंकित कर रखा हैं। समाज की वंशावली का बखान करने आएं हिमांशु राव के पूर्वजों ने वंश की 50 पीढिय़ों से भी ज्यादा का लेखा-जोखा अपनी वंशावली पोथी में रख रखा है। पोथी में वंश की कुलदेवी, भैरूजी सहित कई विधि, मान्यताओं की जानकारी मिलती है।
वंशावली लेखक जब भी घर आते हैं, तब परिवार में नए जन्म लेने वाले लडक़ों, लड़कियों के नाम, शादी विवाह संबंधित संपूर्ण जानकारी को अपनी पोथी में अंकित करते हैं। साथ ही वंशावली लेखक को जो दान दक्षिणा दी जाती है और जो भोजन वह ग्रहण करते हैं, वह भी अपनी वंशावली पोथी में लिखते हैं। सरड़ा कस्बे के चौथमल सेन और महावीर प्रसाद सेन ने बताया कि हमारे समाज के राव-भाट घर-घर आते हैं और वंशावली का बखान करते हैं। वंशावली वाली पोथी में पूरे वंश की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक जानकारी आज भी उपलब्ध हैं। नई पीढ़ी को अपनी लोक परंपरा, समाज, इतिहास, कला व संस्कृति से जोडऩे के उद्देश्य से राव- भाट अपनी वंशावली पोथी का गायन कर अपने इतिहास व अपने वंश की जानकारी देते हैं।
दादा, पिता के बाद अब पोता कर रहा बखान
सरड़ा में नाई समाज की वंशावली का बखान करने आए अजमेर जिले के किशनगढ़ निवासी हिमांशु ने बताया कि उनके पूर्वज पहले गरोठ में रहा करते थे, वर्तमान में किशनगढ़ में रहते हैं। नाइयों के वंश की जानकारी को संजोना उनका पैतृक कार्य है, जिसे उनके पूर्वज करते आए हैं। अब वह भी अपने पूर्वजों से मिली इस धरोहर को संजोए हुए हैं। हिमांशु ने बताया कि दादा कैलाशचंद राव व पिता लखन राव से वंशावली वाचन सीखा है। पहली बार इस क्षेत्र में दादी उर्मिला राव के साथ आएं हैं।
वंश की संपूर्ण जानकारी पोथी में
चौथमल सेन और महावीर प्रसाद सेन ने बताया कि समाज की वंशावली का बखान करने आएं हिमांशु राव के पूर्वजों ने वंश की 50 पीढिय़ों से भी ज्यादा का लेखा-जोखा अपनी वंशावली पोथी में रख रखा है। उर्मिला राव ने बताया कि वह स्वयं पिछले 40 वर्षों से प्रति 5 से 7 साल में यहां आ रही हैं। नई पीढ़ी को अपने वंश और इतिहास की जानकारी देने के उद्देश्य से परिवार द्वारा वंशावली का लेखन किया जा रहा है।