ज्योतिषाचार्य पंडित प्रफुल्ल जोशी ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा-अर्चना करने, जप और अन्य अनुष्ठान करने से विशेषफल की प्राप्ति होती है
भवानीमंडी। आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्र 19 जून से शुरू हुई और समापन 27 जून को भड़ली नवमी पर होगा। नौ दिनों के दौरान माता के दरबार में अखंड ज्योत जलेगी। खरीदारी व मांगलिक कार्य करने के लिए 21 जून को पुष्य नक्षत्र और त्रिपुष्कर योग रहेगा। इस बार खास बात यह है कि गुप्त नवरात्र 10 दिन पहले शुरू हो रही है। पिछले साल यह 30 जून से थी। इस बार 19 जून से शुरू हो रही है। नगर में माता के मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना के कार्यक्रम होंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित प्रफुल्ल जोशी ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा-अर्चना करने, जप और अन्य अनुष्ठान करने से विशेषफल की प्राप्ति होती है।
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आषाढ़ गुप्त नवरात्र तिथि
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 18 जून 2023 सुबह 10 बजकर 06 बजे से हो रही है। ये तिथि अगले दिन 19 मई 2023 की सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत इस साल 19 जून से हुई।
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कलश स्थापनाशुभ मुहूर्त
गुप्त नवरात्र की पूजा के लिए कलश की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 जून 2023 सोमवार प्रात: काल 05 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक है। इसके अलावा इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट बजे तक है। इस मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है।
पूजा विधि
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र पर देवी की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। स्नान करके शुभ मुहूर्त में पवित्र स्थान पर देवी की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें और उसे गंगा जल से पवित्र करें। देवी की विधि-विधान से पूजा प्रारंभ करने से पहले मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें। इसके बाद माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा के साथ जप करें। गुराडिय़ामाना गांव के नारायण सिंह चौहान ने बताया कि उनके गांव में प्राचीन मंदिर पर नौ दिनों तक ज्योत जला कर दुर्गा पाठ का आयोजन किया जाता है।
मंदिरों में होंगे जाप
नगर के विभिन्न शक्तिपीठों पर गुप्त नवरात्र पर विशेष जप के लिए विशेष इंतजाम होंगे। इसके अलावा गुप्त नवरात्र में मंदिर को अष्टमी और नवमी पर पुष्पों से सजाया जाएगा। महिलाओं को सुहाग की सामग्री वितरण की जाएगी। दूधाखेड़ी माताजी मंदिर के पंड़ित धनश्याम योगी ने बताया कि माताजी के मंदिर पर नौ दिनों तक अखण्ड ज्योत जलाई जाती है। चैत्र और शारदीय नवरात्र की तरह ही गुप्त नवरात्र में भी मां के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री रूप के पूजन का विधान है। वहीं गुप्त नवरात्र तंत्र-मंत्र सीखने वाले जातकों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। गुप्त नवरात्र में साधक 10 महाविद्या काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला की उपासना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि मां भक्तों की उपासना से प्रसन्न होकर उन्हें अतुल्य शक्तियों का वरदान देती है। नवरात्र में रोज माता का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। इस बार वार के हिसाब से श्रृंगार किया जाएगा। रविवार को लाल पुष्पों से शनिवार को नीले और गुरुवार को पीले पुष्पों से श्रृंगार किया जाएगा।