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Jhalawar School Collapse: हंसते खेलते गए स्कूल… आधा घण्टे बाद मची चीख-पुकार, 2 परिवार ने खोए इकलौते चिराग

ग्रामीण सात बच्चों की मौत पर स्थानीय प्रशासन, सरपंच क नेताओं को कोसते रह गए।

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Jhalawar School Collapse

Photo- Patrika Network (घायलों बच्चों का हाल जानते शिक्षामंत्री मदन दिलावर)

Jhalawar News: झालावाड़ में मासूम बच्चों और उनके परिजन को क्या पता था कि स्कूल में मौत उनका इंतजार कर रही है। बच्चे शुक्रवार सुबह हंसते खेलते स्कूल गए ही थे कि आधा घण्टे बाद ही चीख-पुकार सुनाई दी। इसके साथ पिपलोदी गांव में हाहाकार मच गया। रुदन और चीत्कार ने हर आंख को भिगो दिया था। किसी के पास दिलासा देने के लिए कोई शब्द नहीं थे।

ग्रामीण सात बच्चों की मौत पर स्थानीय प्रशासन, सरपंच क नेताओं को कोस रहे थे। इस हादसे में दो परिवारों ने अपने घर के इकलौते चिराग खो दिए। इधर प्रशासनिक अधिकारी हालात का जायजा ले रहे थे, उधर अस्पताल में मृतक बच्चों की संख्या बढ़ रही थी।

हादसे के बाद स्कूल में कार्यरत पांच शिक्षकों और कार्मिकों को निलम्बित कर दिया गया है। मनोहरथाना उपखंड मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर पीपलोदी गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में पहली से आठवीं तक कक्षाएं संचालित होती हैं। स्कूल में सुबह करीब साढ़े सात बजे प्रार्थना सभा की तैयारी चल रही थी। इसी दौरान हल्की बरसात होने पर सभी बच्चों को एक कमरे में बैठा दिया गया।

प्रत्यक्षदर्शी एक बालिका के अनुसार, कमरे में अचानक छत से कंकड़ गिरने लगे तो बच्चों ने बाहर कुर्सी पर बैठे शिक्षकों को इस बारे में बताया, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। तभी अचानक तेज आवाज के साथ छत भरभराकर गिर गई और मलबे के नीचे 40 बच्चे दब गए।

ग्रामीण बोले- मरम्मत में की लीपापोती

स्कूल की छात्रा वर्षा, राजकिरंता, रीना ने बताया कि स्कूल की दीवार पर पेड़ उगे थे, उनको कटवा भी दिया था, फिर बड़े हो जाते हैं। हमने मैडम को भी बताया था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने बताया कि मरम्मत करके पूरी तरह से लीपापोती कर दी। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच को भी अवगत करवा दिया था।

विरोध... शिक्षा मंत्री को बदलना पड़ा रास्ता

गुस्साए ग्रामीणों ने मनोहरथाना मार्ग पर गुराड़ी चौराहे पर शुक्रवार शाम जाम लगा दिया। शाम करीब छह बजे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस व प्रशासन की गाड़ियों पर पथराव शुरू कर दिया। इस पर पुलिस ने लाठीवार करते हुए लोगों को वहां से खदेड़ा। पथराव में पुलिस की तीन गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई। शिक्षा मंत्री मनोहरथाना जा रहे थे। ऐसे में पुलिस प्रशासन ने उनका मार्ग बदलते हुए उन्हें जावर के रास्ते मनोहरथाना पहुंचाया।

पत्रिका सुझाव

अब अभिभावक जिम्मेदारी लें...

सरकार अपने सर्वे करती रहेगी, व्यवस्थाएं सुधारने के दावे भी होंगे, मगर केवल इसके भरोसे नहीं रह सकते हैं। अब वक्त है कि अभिभावक खुद आगे आएं। अपने बच्चों के स्कूलों की हालत खुद देखें। स्कूल की छते जर्जर ती नहीं? दीवारें सुरक्षित हैं या दरारों से भरी हैं? पीने का पानी, शौचालय और बिजली की सुविधा है या नहीं? कोई सुरक्षा इंतजाम है भी या नहीं?

अभिभावक सवाल पूछें: शासन-प्रशासन से, शिक्षा विभाग से। जब तक बुनियादी सुरक्षा तय न हो जाए, तब तक बच्चों को स्कूल भेजने से पहले गंभीरता से सोचें।


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